E20 फ्यूल को लेकर क्या है सरकार का रुख, इंजन और माइलेज पर कितना पड़ेगा असर?

Edited By Updated: 05 Aug, 2025 08:09 PM

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भारत में इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (Ethanol-Blended Petrol) का उपयोग तेज़ी से बढ़ रहा है। खासतौर पर अप्रैल 2023 के बाद से जब ऑटोमोबाइल कंपनियों ने E20 कम्प्लायंट वाहनों को बाज़ार में लॉन्च करना शुरू किया। सरकार की ग्रीन फ्यूल नीति के तहत यह एक बड़ा कदम...

नेशनल डेस्क : भारत में इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (Ethanol-Blended Petrol) का उपयोग तेज़ी से बढ़ रहा है। खासतौर पर अप्रैल 2023 के बाद से जब ऑटोमोबाइल कंपनियों ने E20 कम्प्लायंट वाहनों को बाज़ार में लॉन्च करना शुरू किया। सरकार की ग्रीन फ्यूल नीति के तहत यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि अब सोशल मीडिया पर इन गाड़ियों से संबंधित माइलेज और इंजन डैमेज को लेकर चिंता बढ़ने लगी है, जिसे देखते हुए सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी है।

क्या E20 फ्यूल से माइलेज पर असर पड़ेगा?
सरकार ने स्पष्ट किया है कि E20 फ्यूल, जिसमें 20% इथेनॉल और 80% पेट्रोल होता है, की एनर्जी डेंसिटी पारंपरिक पेट्रोल (E0) के मुकाबले थोड़ी कम होती है। यही वजह है कि इससे 1-2 प्रतिशत तक माइलेज में गिरावट हो सकती है। लेकिन यह मामूली अंतर इंजन ट्यूनिंग और तकनीकी बदलावों से संतुलित किया जा सकता है। हालांकि बड़ी संख्या में लोग E20 फ्यूल वाली गाड़ियों की ओर बढ़े हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर यह चर्चा चल रही है कि इससे इंजन पर असर पड़ सकता है। इस अफवाह के बाद सरकार और ऑटोमोबाइल संगठनों को सामने आकर स्पष्टीकरण देना पड़ा है।

E20 कम्पैटिबल वाहन पूरी तरह सुरक्षित
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के अनुसार, अप्रैल 2023 से भारत में जो वाहन लॉन्च हो रहे हैं वे पूरी तरह से E20 फ्यूल के लिए तैयार हैं। इन गाड़ियों में अपग्रेडेड फ्यूल सिस्टम दिया गया है जो बिना किसी नुकसान के इथेनॉल मिश्रण को हैंडल करने में सक्षम है।
सुजुकी, टीवीएस, होंडा, रॉयल एनफील्ड जैसी प्रमुख कंपनियां पहले ही E20 कम्पैटिबल मॉडल्स लॉन्च कर चुकी हैं।

समय से पहले हासिल किया E20 लक्ष्य
इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) के अनुसार, भारत ने E20 ब्लेंडिंग का लक्ष्य पांच साल पहले ही हासिल कर लिया है। इससे न केवल विदेशी तेल पर निर्भरता कम हुई है, बल्कि पर्यावरण को भी लाभ मिला है। नीति आयोग के अध्ययन के मुताबिक, गन्ने से बना इथेनॉल पेट्रोल की तुलना में 65% कम CO₂ उत्सर्जन करता है, जबकि मक्का आधारित इथेनॉल से 50% उत्सर्जन में कमी आती है। यह भारत के क्लाइमेट एक्शन प्लान का एक अहम हिस्सा बन चुका है।

अब E27 की तैयारी
सरकार E27 (27% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल) पर भी काम कर रही है। इसके लिए ARAI (ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया) इंजन में संभावित बदलावों की जांच कर रहा है। अगस्त 2025 के अंत तक E27 मानकों को अंतिम रूप देने की संभावना है। इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ना और मक्का जैसी फसलों की आवश्यकता होती है। इससे न केवल कृषि क्षेत्र को नया बाज़ार मिलेगा, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।

तेजी से बढ़ा इथेनॉल उत्पादन
2014 में जहां 38 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन हुआ था, वहीं जून 2025 तक यह आंकड़ा 661 करोड़ लीटर तक पहुंच चुका है। इससे देश में 698 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आई है।

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