Edited By Mehak,Updated: 27 Aug, 2025 07:42 PM

यूपी के महाराजगंज ज़िले से इंसानियत को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। नौतनवा नगर के राजेंद्र नगर वार्ड में रहने वाले लव कुमार पटवा की मौत हो गई। उनकी मौत के तीन दिन तक कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। हालात ऐसे बने कि उनके छोटे-छोटे बच्चों को...
नेशनल डेस्क : यूपी के महाराजगंज ज़िले से इंसानियत को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। नौतनवा नगर के राजेंद्र नगर वार्ड में रहने वाले लव कुमार पटवा की मौत हो गई। उनकी मौत के तीन दिन तक कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। हालात ऐसे बने कि उनके छोटे-छोटे बच्चों को खुद ही पिता के शव को ठेले पर रखकर अंतिम संस्कार के लिए निकलना पड़ा।
मदद के लिए नहीं आगे आया कोई पड़ोसी
मृतक लव कुमार पटवा के तीन बच्चे हैं, राजवीर (14), देवराज (10) और एक बेटी। बच्चों ने बताया कि उनकी मां का निधन पिछले साल हो गया था और अब पिता ही उनका सहारा थे। तीन दिन पहले रात को सोते समय पिता की अचानक मौत हो गई। पिता के निधन के बाद घर में रोते-बिलखते बच्चे कई दिनों तक मदद का इंतज़ार करते रहे, लेकिन किसी भी पड़ोसी या परिचित ने उनकी सहायता नहीं की। शव घर में ही पड़ा रहा और धीरे-धीरे उसमें सड़न आने लगी।
ठेले पर लेकर निकले पिता का शव
आख़िरकार, मजबूरी में मासूम बच्चों ने एक ठेला किराए पर लिया और कपड़े में लपेटकर पिता के शव को उस पर रख दिया। वे स्वयं ही अंतिम संस्कार करने के लिए निकल पड़े।
समाजसेवियों ने दिखाई इंसानियत
इसी दौरान छपवा तिराहे पर समाजसेवी राशिद कुरैशी की नज़र बच्चों पर पड़ी। बच्चों की व्यथा सुनकर उन्होंने तुरंत अपने भाई वारिस कुरैशी को बुलाया। दोनों भाइयों ने मिलकर बच्चों की मदद की और लव कुमार पटवा के शव का पूरे विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार कराया।
मासूमों की पीड़ा ने झकझोरा
यह घटना न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि पूरे समाज को सोचने पर मजबूर करती है कि किस तरह दो नाबालिग बच्चों को पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए अकेला छोड़ दिया गया। जबकि सही समय पर इंसानियत दिखाकर कोई भी उनकी मदद कर सकता था।