Shibu Soren को कितनी मिलती थी पेंशन, निधन के बाद परिवार के किन सदस्यों को मिलेगी सुविधाए?

Edited By Updated: 04 Aug, 2025 02:39 PM

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झारखंड की राजनीति का एक बड़ा अध्याय 4 अगस्त की सुबह उस वक्त समाप्त हो गया, जब पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन का दिल्ली में निधन हो गया। 'दिशोम गुरु' के नाम से लोकप्रिय शिबू सोरेन न केवल एक जननेता थे, बल्कि उन्होंने...

नेशनल डेस्क:  झारखंड की राजनीति का एक बड़ा अध्याय 4 अगस्त की सुबह उस वक्त समाप्त हो गया, जब पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन का दिल्ली में निधन हो गया। 'दिशोम गुरु' के नाम से लोकप्रिय शिबू सोरेन न केवल एक जननेता थे, बल्कि उन्होंने आदिवासी अधिकारों की लड़ाई को राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में लाकर खड़ा किया था। उनके निधन के बाद अब जहां पूरा राज्य शोक में डूबा है, वहीं एक कानूनी और प्रशासनिक सवाल चर्चा में है—पूर्व मुख्यमंत्री को मिलने वाली पेंशन और सुविधाएं अब किसे मिलेंगी?

तीन बार बने मुख्यमंत्री, कभी नहीं पूरा किया कार्यकाल
शिबू सोरेन ने तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली—2005, 2008 और 2009 में। हालांकि, इनमें से किसी भी कार्यकाल को वे पूर्ण अवधि तक नहीं निभा पाए।
पहला कार्यकाल: 10 दिन
दूसरा कार्यकाल: लगभग 1 वर्ष
तीसरा कार्यकाल: कुछ ही महीने
राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहने के चलते उन्हें एक पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में कई तरह की सरकारी सुविधाएं प्राप्त थीं।

पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलती हैं कौन-कौन सी सुविधाएं?
राज्य सरकारों द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को आमतौर पर निम्नलिखित लाभ दिए जाते हैं, जो उनके कार्यकाल की अवधि और सरकारी नीतियों पर निर्भर करते हैं:
मासिक पेंशन, जो आमतौर पर ₹15,000 से अधिक हो सकती है
आवासीय सुविधा
यात्रा भत्ता
स्वास्थ्य बीमा/मेडिकल खर्च
इंटरनेट, टेलीफोन और सहायक स्टाफ
यदि पूर्व सीएम विधायक भी रहे हैं, तो वे विधायक पेंशन के भी पात्र होते हैं।

अब किसे मिलेगी पेंशन?
सरकारी नियमों के अनुसार, किसी पेंशनधारी की मृत्यु के बाद उनकी विधवा पत्नी को पेंशन का 50% हिस्सा जीवन भर के लिए दिया जाता है। यदि उनके 25 वर्ष से कम आयु के बच्चे हैं, तो उन्हें पेंशन का 25-25% हिस्सा प्रदान किया जा सकता है। हालांकि, यह लाभ बच्चों को सिर्फ 25 वर्ष की उम्र तक मिलता है। अगर पत्नी पुनर्विवाह कर लेती हैं, तो पेंशन समाप्त कर दी जाती है और शेष हिस्से को बच्चों में बांट दिया जाता है। कर्मचारी या जनप्रतिनिधि अपने जीवनकाल में किसी एक व्यक्ति को नॉमिनी भी नियुक्त कर सकता है, जिसे उनके निधन के बाद पेंशन मिलेगी।

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