Edited By Anu Malhotra,Updated: 31 Oct, 2025 08:37 AM

भारतीय सेना के अनुशासन और मर्यादा की मिसाल पेश करते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) कोर के एक कर्नल को जनरल कोर्ट मार्शल ने सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दिया है। सेना के इस निर्णय ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि वर्दी का सम्मान...
नेशनल डेस्क: भारतीय सेना के अनुशासन और मर्यादा की मिसाल पेश करते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) कोर के एक कर्नल को जनरल कोर्ट मार्शल ने सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दिया है। सेना के इस निर्णय ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि वर्दी का सम्मान किसी भी व्यक्तिगत रिश्ते या निजी जुड़ाव से ऊपर है।
चंडीगढ़ के ‘N’ एरिया में मई से चल रहे इस कोर्ट मार्शल की कार्यवाही में आरोपी अधिकारी पर अपने ही साथी कर्नल की पत्नी से अवैध संबंध रखने के गंभीर आरोप साबित हुए। सेना अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत चार आरोपों में से तीन पर उसे दोषी ठहराया गया, जिसके बाद यह कठोर सजा सुनाई गई।
मामले की शुरुआत तब हुई जब शिकायतकर्ता कर्नल ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी के व्यवहार में अचानक बदलाव आया। हरिद्वार की छुट्टियों और लेह यात्रा के बाद पत्नी की दूरी बढ़ने लगी, जिससे उन्हें संदेह हुआ। बाद में सामने आया कि आरोपी कर्नल का महिला से देर रात तक लगातार फोन संपर्क बना रहता था। हालांकि इस आरोप में अदालत ने उसे बरी कर दिया, लेकिन दो अन्य घटनाएं — हरिद्वार के होटल रेडिसन ब्लू और देहरादून के होटल एनजे पोर्टिको में महिला के साथ ठहरने — पर आरोप सिद्ध पाए गए। इसके अलावा, महिला के नाम पर बनाए गए जाली ‘डिपेंडेंट कार्ड’ के उपयोग को भी धोखाधड़ी माना गया।
दोनों पक्षों के बयान
गवाही के दौरान शिकायतकर्ता अधिकारी ने बताया कि उनका विवाह 2006 में हुआ था और सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन छुट्टियों से लौटने के बाद पत्नी का व्यवहार पूरी तरह बदल गया। उन्होंने यह भी कहा कि लेह यात्रा के दौरान आरोपी कर्नल ने ही महिला के ठहरने की व्यवस्था की थी। दूसरी ओर, महिला ने कोर्ट में कहा कि वह वर्षों से मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेल रही थी और अब अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती। उसने यह भी कहा कि आरोपी उसका पुराना स्कूलमेट है और एक वयस्क के रूप में यह उसका अधिकार है कि वह किससे संपर्क रखे। उसने किसी भी होटल में साथ ठहरने के आरोपों को खारिज किया।
इस केस की अध्यक्षता ब्रिगेडियर जगमिंदर सिंह गिल ने की, जबकि छह अन्य कर्नल सदस्य के रूप में शामिल थे। यह पूरा मामला 8 माउंटेन डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल के. महेश के निर्देश पर शुरू हुआ था। कोर्ट मार्शल द्वारा सुनाई गई बर्खास्तगी की सजा अब कन्वीनिंग अथॉरिटी के अनुमोदन के बाद अंतिम रूप लेगी। नियमों के अनुसार, आरोपी अधिकारी को इस फैसले के खिलाफ अपील का अवसर भी मिलेगा।