केंद्र सरकार को बड़ी कामयाबी, पराली जलाने में आई 41 फीसद कमी

Edited By Updated: 14 Aug, 2019 01:31 PM

government succeeds 41 percent reduction in stubble burning

कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव एवं आईसीएआर ( भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के महानिदेशक डॉक्टर त्रिलोचन महापात्रा ने मंगलवार को यहां प्रेस वार्ता में बताया कि फसलों के अवशेष जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण में 2016 के मुकाबले 2018 में...

नई दिल्ली (रवि प्रताप)­­ : कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव एवं आईसीएआर ( भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के महानिदेशक डॉक्टर त्रिलोचन महापात्रा ने मंगलवार को यहां प्रेस वार्ता में बताया कि फसलों के अवशेष जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण में वर्ष 2016 के मुकाबले 2018 में 41 प्रतिशत की कमी आई है। यह एक बड़ी चुनौती थी पर सरकारी और निजी भागीदारी के चलते पार पाया गया है।

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महापात्रा ने आगे कहा कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में केंद्रीय योजना के तहत कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने जैसी विभिन्न योजनाओं को चलाया गया। इन योजनाओं के चलते ही हरियाणा और पंजाब के करीब 4500 गांवों में वर्ष 2018 में पराली या फसलों के अवशेष जलाने की एक भी घटना सामने नहीं आई है। भारत सरकार ने वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए वर्ष 2018-19 से 2019-20 के लिए सैंट्रल सेक्टर स्कीम के तहत 1151.80 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। इस रकम से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में फसल अवशेषों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनरी को सब्सिडी दी गई।

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भारत के उत्तर-पश्चिमी राज्य की 8 लाख हैक्टेयर भूमि पर जुताई तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इस पर करीब 500 करोड़ रुपये का खर्च आया। फसलों के अवशेष प्रबंधन के लिए आधुनिक मशीनों को खरीदने के लिए भी केंद्र सरकार ने किसानों को 50 फीसद की सब्सिडी दी। भारत सरकार की इस नीति के चलते फसल अवशेष या पराली जलाने में सकारात्मक रूप से कमी आई है जिससे वायु प्रदूषण नियंत्रण में गिरावट दर्ज की गई। फसल अवशेष के प्रदूषण से सबसे अधिक दिल्ली ही प्रभावित होती है।

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