Edited By Tanuja,Updated: 01 Jul, 2025 01:52 PM
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ शब्दों में कहा है कि भारत-अमेरिका के रिश्तों को सिर्फ चीन के संदर्भ में देखना न केवल एक सरलीकरण है बल्कि भ्रामक भी हो सकता है...
New York: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ शब्दों में कहा है कि भारत-अमेरिका के रिश्तों को सिर्फ चीन के संदर्भ में देखना न केवल एक सरलीकरण है बल्कि भ्रामक भी हो सकता है। उन्होंने यह टिप्पणी न्यूयॉर्क स्थित ‘वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ में न्यूजवीक के सीईओ देव प्रगाद के साथ संवाद के दौरान की। जयशंकर ने कहा, "भारत और अमेरिका के संबंध बहुआयामी हैं इनमें रणनीतिक, व्यापारिक, प्रौद्योगिकी, और सांस्कृतिक जुड़ाव शामिल हैं। केवल चीन के चश्मे से इन संबंधों को देखना एक बड़ी भूल है।"उन्होंने बताया कि अमेरिका में भारतीय समुदाय का बड़ा योगदान है, जो द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत करता है। “यह एक गेम-चेंजर है और इसका चीन से कोई लेना-देना नहीं है।”
विदेश मंत्री ने भारत-अमेरिका के व्यापार और तकनीकी सहयोग को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध बहुत मजबूत हैं और ये केवल चीन विरोध पर आधारित नहीं हैं। जयशंकर ने माना कि अमेरिका-चीन संबंध अब पहले जैसे नहीं रहे। दोनों में अब कड़ी प्रतिस्पर्धा और रणनीतिक असहमतियां हैं। जयशंकर ने कहा कि"हम अपने हितों की रक्षा करते हुए अमेरिका और चीन दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना चाहते हैं। हम चीन के सबसे बड़े पड़ोसी हैं और उसके साथ स्थिरता के पक्ष में हैं, हालांकि व्यापार असंतुलित है।" जयशंकर ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमला एक "आर्थिक युद्ध" का कृत्य था, जिसका उद्देश्य कश्मीर में पर्यटन को खत्म करना और सांप्रदायिक तनाव भड़काना था।
उन्होंने स्पष्ट किया “हम आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर आतंकवादी सीमा पार हैं, तो भी कार्रवाई की जाएगी। परमाणु ब्लैकमेल हमें नहीं रोक सकता। ”उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिनकी जानकारी सबको है।जब उनसे पूछा गया कि डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता वाले दावे का भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर क्या असर पड़ा, तो जयशंकर ने जवाब दिया “व्यापारिक लोग अपना काम जानते हैं। वे पेशेवर हैं और फोकस्ड भी। इससे कोई असर नहीं पड़ा।”उन्होंने बताया कि जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने पीएम मोदी को संभावित पाकिस्तानी हमले की चेतावनी दी थी, "प्रधानमंत्री ने कोई दबाव नहीं लिया, बल्कि स्पष्ट संकेत दिया कि भारत इसका जवाब देगा और हमने दिया भी।"