Edited By Anu Malhotra,Updated: 08 Sep, 2025 10:27 AM

GST Council की 56वीं बैठक में लिया गया एक बड़ा फैसला आम जनता को सीधी राहत देता नजर आया। काउंसिल ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों पर अब तक लगने वाले 18% वस्तु एवं सेवा कर (GST) को पूरी तरह खत्म करने का ऐलान किया है। यह नई व्यवस्था 22 सितंबर 2025...
नई दिल्ली: GST Council की 56वीं बैठक में लिया गया एक बड़ा फैसला आम जनता को सीधी राहत देता नजर आया। काउंसिल ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों पर अब तक लगने वाले 18% वस्तु एवं सेवा कर (GST) को पूरी तरह खत्म करने का ऐलान किया है। यह नई व्यवस्था 22 सितंबर 2025 से लागू होगी, जो नवरात्रि के पहले दिन से प्रभावी मानी जा रही है। हालांकि यह सुनकर लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अब बीमा लेना सस्ता हो जाएगा, लेकिन विशेषज्ञों की ताजा रिपोर्ट इससे बिल्कुल उलट संकेत दे रही है।
GST हटेगा, लेकिन सस्ता नहीं होगा बीमा!
जहां एक तरफ यह निर्णय पहली नजर में आम जनता के लिए फायदे का सौदा लग रहा है, वहीं दूसरी ओर कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट ने इस उम्मीद पर पानी फेर दिया है। रिपोर्ट का कहना है कि हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर GST हटने के बावजूद उपभोक्ताओं को राहत मिलने की संभावना बेहद कम है। बल्कि, बीमा कंपनियां प्रीमियम में 3% से 5% तक की बढ़ोतरी कर सकती हैं।
क्यों बढ़ेगा प्रीमियम, जब टैक्स हट रहा है?
अब तक बीमा कंपनियां एजेंट का कमीशन, मार्केटिंग खर्च, पुनर्बीमा और अन्य परिचालन लागतों पर जीएसटी का भुगतान करती थीं और इसके बदले इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ लेती थीं। लेकिन जब बीमा सेवाओं को जीएसटी के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा, तो कंपनियां ITC का फायदा नहीं उठा पाएंगी। इससे उनके खर्चे तो बने रहेंगे, लेकिन टैक्स क्रेडिट नहीं मिलने से कुल लागत बढ़ जाएगी।
बीमा कंपनियों के लिए यह लागत असंतुलन एक बड़ी चुनौती बन सकती है। इसे संतुलित करने के लिए वे अपने ग्राहकों से ज्यादा प्रीमियम वसूल सकती हैं, ताकि उनका मुनाफा (मार्जिन) प्रभावित न हो।
बीमा कंपनियों को होगा फायदा, ग्राहक को नहीं
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि GST हटने से बीमा कंपनियों की कुल लागत 12-15% तक घट सकती है। लेकिन इस लागत में कटौती का सीधा लाभ ग्राहक को नहीं मिलेगा, क्योंकि ITC की अनुपलब्धता से कंपनियों की लागत में जो नया दबाव बनेगा, उसे वे प्रीमियम दरें बढ़ाकर वसूल सकती हैं। इस तरह टैक्स में मिली राहत अंततः कंपनियों की झोली में जाएगी, आम आदमी की जेब में नहीं।
पुनर्बीमा सेवाएं भी होंगी टैक्स-फ्री, फिर भी अधूरी राहत
GST में यह छूट केवल अंतिम ग्राहक को दी जाने वाली बीमा पॉलिसियों पर ही सीमित नहीं है। पुनर्बीमा (Reinsurance) सेवाओं को भी जीएसटी से मुक्त किया गया है। लेकिन बीमा कंपनियों के लिए बाकी कई जरूरी सेवाओं पर अभी भी GST लागू रहेगा। इस वजह से उन्हें "Inverted Tax Structure" का लाभ भी नहीं मिलेगा। इसका सीधा अर्थ है कि बीमा कंपनियों को कर संबंधी नुकसान उठाना पड़ेगा, जो वे उपभोक्ताओं पर डाल सकती हैं।