Edited By Rahul Singh,Updated: 19 Nov, 2025 07:49 PM

स्वास्थ्य बीमा कंपनियों द्वारा लागू किए जा रहे ‘मेटीरियल चेंज’ क्लॉज से पॉलिसीधारकों में चिंता बढ़ी है। ग्राहकों से हर साल स्वास्थ्य और जीवनशैली में हुए बदलाव की जानकारी मांगी जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, IRDA नियमों के तहत बीमा लेने के बाद हुई...
नेशनल डेस्कः आजकल कई स्वास्थ्य बीमा कंपनियां अपने पॉलिसियों में ‘मेटीरियल चेंज’ क्लॉज लागू कर रही हैं। इसके तहत ग्राहकों से हर साल उनकी सेहत या जीवनशैली में हुए किसी भी महत्वपूर्ण बदलाव की जानकारी मांगी जाती है। बीमा कंपनियों का कहना है कि इसका उद्देश्य पॉलिसी को सही और न्यायसंगत बनाए रखना है, लेकिन इससे ग्राहकों में चिंता भी बढ़ रही है कि कहीं उनके प्रीमियम बढ़ा दिए जाएं या दावा खारिज न हो जाए।
दावा और नवीनीकरण पर बीमारियों का असर
विशेषज्ञों के अनुसार, कई लोग नई बीमारियों की जानकारी न देकर प्रीमियम बचाने की कोशिश करते हैं। हालांकि, IRDA के नियमों के तहत बीमा लेने के बाद हुई बीमारियां भी पॉलिसी में कवर की जानी चाहिए। नवीनीकरण के समय कोई नया वेटिंग पीरियड नहीं लगाया जा सकता। दावा केवल तभी खारिज हो सकता है जब ग्राहक ने जानबूझकर गलत जानकारी दी हो या फर्जीवाड़ा किया हो।
ग्राहकों के लिए प्रीमियम नहीं बढ़ा सकतीं
विशेषज्ञों का कहना है कि बीमा कंपनियां व्यक्तिगत ग्राहकों के लिए प्रीमियम नहीं बढ़ा सकतीं। यदि प्रीमियम बढ़ाया जाता है, तो यह सभी ग्राहकों पर समान रूप से लागू होना चाहिए। नवीनीकरण के दौरान कवरेज में बदलाव केवल तभी किया जा सकता है जब समरी इंश्योरेंस बढ़ाई जाए।
ग्राहकों को क्या करना चाहिए
बीमा पॉलिसी में किसी भी बीमारी या बदलाव की जानकारी देते समय पारदर्शिता बनाए रखना जरूरी है। मामूली बदलाव का प्रीमियम पर असर कम होता है, लेकिन जानकारी छिपाने से भविष्य में समस्या हो सकती है। ग्राहकों को यह समझना चाहिए कि यह जानकारी क्यों मांगी जा रही है और केवल जरूरी विवरण साझा करें। किसी समस्या की स्थिति में बीमा बरोसा या ओम्बड्समैन से शिकायत की जा सकती है।