Heart Attack: घर पर आए हार्ट अटैक तो क्या करें? कार्डियोलॉजिस्ट से जानें तुरंत बचाव के जरूरी कदम

Edited By Updated: 14 Dec, 2025 06:55 PM

what to do if you have a heart attack at home learn the essential immediate

दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसमें कुछ मिनटों की देरी भी जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे समय में घबराने के बजाय सही कदम उठाना सबसे जरूरी होता है। इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जिवितेश सतीजा के मुताबिक, हार्ट अटैक के दौरान सही...

नेशनल डेस्क: दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसमें कुछ मिनटों की देरी भी जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे समय में घबराने के बजाय सही कदम उठाना सबसे जरूरी होता है। इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जिवितेश सतीजा के मुताबिक, हार्ट अटैक के दौरान सही और समय पर की गई प्राथमिक मदद मरीज की जान बचा सकती है।

हार्ट अटैक क्या होता है और कैसे पहचानें
हार्ट अटैक तब आता है जब दिल तक खून पहुंचाने वाली नस अचानक ब्लॉक हो जाती है। ऐसा कोलेस्ट्रॉल जमा होने या खून का थक्का बनने से होता है। इसके कारण दिल की मांसपेशियों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती और सीने में तेज दबाव या जकड़न जैसा दर्द शुरू हो जाता है। यह दर्द बाएं हाथ, गर्दन, जबड़े या पीठ तक फैल सकता है। इसके साथ पसीना आना, घबराहट, सांस फूलना, मतली और चक्कर आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।


हार्ट अटैक के शक में सबसे पहले क्या करें
जैसे ही हार्ट अटैक का संदेह हो, समय बर्बाद किए बिना तुरंत एंबुलेंस को कॉल करें। 108 या 112 पर फोन कर स्थिति साफ-साफ बताएं और कोशिश करें कि मरीज को कैथ लैब यानी एंजियोप्लास्टी सुविधा वाले अस्पताल ले जाया जाए। अगर ऐसा अस्पताल पास में न हो, तो नजदीकी किसी भी अस्पताल में तुरंत पहुंचना जरूरी है। मरीज को खुद गाड़ी चलाने न दें और न ही इलाज में देरी करें।


एस्पिरिन कब और कैसे दें
अगर मरीज को किसी तरह की एलर्जी या पेट में ब्लीडिंग की समस्या नहीं है, तो 300 मिलीग्राम एस्पिरिन या डिस्प्रिन चबाने के लिए दी जा सकती है। यह खून को पतला करने में मदद करती है, लेकिन इसे अस्पताल ले जाने की प्रक्रिया शुरू करने के बाद ही दें। इसे इलाज का विकल्प न समझें, बल्कि प्राथमिक सहायता के तौर पर ही इस्तेमाल करें।


मरीज को सही पोजिशन में रखें
हार्ट अटैक के दौरान मरीज को बैठी हुई या करीब 45 डिग्री के एंगल पर आधी लेटी हुई स्थिति में रखें। तंग कपड़े ढीले कर दें और सुनिश्चित करें कि उसे ताजी हवा मिल रही हो। मरीज को ज्यादा हिलाने-डुलाने या सीढ़ियां चढ़ाने से बचें, क्योंकि इससे दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है।


मरीज की हालत पर नजर बनाए रखें
मरीज की सांस और नाड़ी पर लगातार ध्यान दें। अगर अचानक सांस रुक जाए या नाड़ी महसूस न हो, तो यह कार्डियाक अरेस्ट का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में बिना समय गंवाए CPR शुरू करना बेहद जरूरी होता है।


हार्ट अटैक और कार्डियाक अरेस्ट में फर्क
हार्ट अटैक में दिल तक खून की सप्लाई रुक जाती है, जबकि कार्डियाक अरेस्ट में दिल पूरी तरह से धड़कना बंद कर देता है। हार्ट अटैक में मरीज को तेज सीने में दर्द और सांस की तकलीफ होती है, वहीं कार्डियाक अरेस्ट में मरीज अचानक बेहोश हो जाता है और सांस व नाड़ी बंद हो जाती है। कार्डियाक अरेस्ट की स्थिति में तुरंत CPR ही जान बचाने का एकमात्र तरीका होता है।


CPR कैसे दिया जाता है
CPR देने के लिए मरीज को सीधा लिटाकर छाती के बीचों-बीच दोनों हाथों से जोर से दबाव देना होता है। करीब 5 सेंटीमीटर गहराई तक 100 से 120 बार प्रति मिनट की गति से छाती दबानी चाहिए। यह प्रक्रिया तब तक जारी रखें जब तक मेडिकल मदद न पहुंच जाए।


हार्ट अटैक में कौन-सी गलतियां न करें
सीने के दर्द को एसिडिटी समझकर नजरअंदाज करना, घरेलू नुस्खे अपनाना, दर्द की दवाइयां देना, छाती पर मालिश करना या अस्पताल जाने में देरी करना बड़ी भूल हो सकती है। बिना विशेषज्ञ वाले क्लीनिक में समय गंवाने से भी खतरा बढ़ जाता है।


आंकड़े जो चेतावनी देते हैं
ICMR के मुताबिक भारत में करीब 70 प्रतिशत हार्ट अटैक मरीज अस्पताल पहुंचने में दो घंटे से ज्यादा देर कर देते हैं। रिसर्च बताती है कि कार्डियाक अरेस्ट में CPR न मिलने पर जीवित रहने की संभावना तेजी से घट जाती है, वहीं हार्ट अटैक में हर 30 मिनट की देरी मृत्यु के खतरे को कई गुना बढ़ा देती है।

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