Edited By Rohini Oberoi,Updated: 31 Aug, 2025 04:13 PM

भारत में शराब न सिर्फ एक उपभोग की वस्तु है बल्कि राज्यों की कमाई का एक बड़ा जरिया भी है। सरकारें इस पर भारी टैक्स लगाती हैं जिससे उन्हें हर साल हजारों करोड़ का राजस्व मिलता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि शराब की एक बोतल पर सरकार को कितना मुनाफा होता...
नेशनल डेस्क। भारत में शराब न सिर्फ एक उपभोग की वस्तु है बल्कि राज्यों की कमाई का एक बड़ा जरिया भी है। सरकारें इस पर भारी टैक्स लगाती हैं जिससे उन्हें हर साल हजारों करोड़ का राजस्व मिलता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि शराब की एक बोतल पर सरकार को कितना मुनाफा होता है और अगर टैक्स हटा दिया जाए तो इसकी असली कीमत क्या होगी।
टैक्स ही होता है कीमत का 60% से 80% हिस्सा
भारत में हर राज्य अपनी नीति के अनुसार शराब पर एक्साइज ड्यूटी, वैट और अन्य शुल्क लगाता है। कई राज्यों में तो शराब की कुल कीमत का 60% से 80% हिस्सा सिर्फ टैक्स ही होता है। उदाहरण के लिए दिल्ली में एक बोतल की कीमत का करीब 65-70% हिस्सा टैक्स है जबकि कर्नाटक और तमिलनाडु में यह 70% से भी ज्यादा है। उत्तर प्रदेश में भी यह आंकड़ा करीब 60% के आसपास है।

एक बोतल की असली कीमत और सरकार का मुनाफा
अगर हम एक उदाहरण से समझें तो मान लीजिए किसी प्रीमियम ब्रांड की शराब की बोतल की फैक्ट्री कीमत 200 रुपये है।
➤ टैक्स और शुल्क: अगर टैक्स की दर औसतन 70% है तो इस पर करीब 140 रुपये का टैक्स लगेगा।
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➤ डिस्ट्रीब्यूटर और रिटेलर मार्जिन: इसमें डिस्ट्रीब्यूटर और रिटेलर का मार्जिन लगभग 60 रुपये होता है।

➤ अंतिम कीमत: इस तरह उस बोतल की अंतिम कीमत 400 रुपये हो जाती है।
यानी 400 रुपये की इस बोतल पर सरकार को 140 रुपये का सीधा मुनाफा होता है जो कुल कीमत का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है। अगर यह टैक्स हटा दिया जाए तो 400 रुपये की बोतल की असली कीमत केवल 200 से 250 रुपये के बीच होगी। इसका मतलब है कि उपभोक्ता को आधे दाम में ही शराब मिल पाएगी।
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राज्यों के लिए आय का बड़ा स्रोत
सरकारें शराब पर टैक्स हटा नहीं सकतीं क्योंकि यह राज्यों की आय का एक प्रमुख जरिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 में सिर्फ शराब टैक्स से राज्यों ने करीब 2.4 लाख करोड़ रुपये की कमाई की थी। यह भारी-भरकम राशि सरकार को विकास कार्यों और अन्य खर्चों को पूरा करने में मदद करती है।