सरकार के एक फैसले से इस बैंक के शेयर में दिखी हलचल, जानें क्या है पूरा मामला?

Edited By Updated: 17 Dec, 2025 12:39 PM

a government decision has caused a stir in this bank s shares

केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) में 3 फीसदी तक हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। यह बिक्री ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए की जाएगी, जिसकी प्रक्रिया बुधवार, 17 दिसंबर से शुरू होगी। इस विनिवेश से सरकार को मौजूदा बाजार कीमतों...

बिजनेस डेस्कः केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) में 3 फीसदी तक हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। यह बिक्री ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए की जाएगी, जिसकी प्रक्रिया बुधवार, 17 दिसंबर से शुरू होगी। इस विनिवेश से सरकार को मौजूदा बाजार कीमतों पर करीब ₹2,100 करोड़ मिलने का अनुमान है।

शेयर बाजार में बुधवार, 17 दिसंबर को आईओबी का शेयर 4.32% की गिरावट के साथ ₹34.99 पर कारोबार कर रहा है। मंगलवार आईओबी का शेयर 1.08% की गिरावट के साथ ₹36.57 पर बंद हुआ। बैंक ने एक्सचेंज को दी सूचना में बताया कि सरकार मूल ऑफर के तहत 2% हिस्सेदारी यानी करीब 38.51 करोड़ शेयर बेचेगी। इसके अलावा ‘ग्रीन शू’ विकल्प के तहत अतिरिक्त मांग आने पर 1% हिस्सेदारी (करीब 19.25 करोड़ शेयर) और बेचने का विकल्प भी रखा गया है। इस तरह कुल बिक्री बैंक की चुकता इक्विटी पूंजी के 3% तक हो सकती है।

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कौन कर सकेगा निवेश?

निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव अरुणिश चावला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी दी कि आईओबी का OFS बुधवार को गैर-खुदरा (संस्थागत) निवेशकों के लिए खुलेगा, जबकि खुदरा निवेशक गुरुवार को बोली लगा सकेंगे। फिलहाल चेन्नई स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 94.61% है, जो इस बिक्री के बाद घटकर करीब 91.61% रह जाएगी।

कर्मचारियों के लिए भी मौका

बैंक ने बताया कि OFS के तहत 1.5 लाख शेयर (लगभग 0.001% हिस्सेदारी) पात्र कर्मचारियों के लिए आरक्षित किए जा सकते हैं। सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बाद कर्मचारी अधिकतम ₹5 लाख तक के शेयरों के लिए आवेदन कर सकेंगे।

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अन्य बैंकों में भी हिस्सेदारी घटाने की तैयारी

यह विनिवेश न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी (MPS) नियमों के अनुरूप है, जिसके तहत सूचीबद्ध कंपनियों में कम से कम 25% शेयर आम निवेशकों के पास होना जरूरी है। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों को इस नियम को पूरा करने के लिए अगस्त 2026 तक की छूट दी है।

आईओबी के अलावा पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में भी सरकार की हिस्सेदारी तय सीमा से ज्यादा है। ऐसे में आने वाले समय में इन बैंकों में भी सरकार को अपनी हिस्सेदारी घटानी पड़ सकती है।
 

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