भारत में जल्द दौड़ेगी पहली हाइड्रोजन ट्रेन! दुनिया का 5वां देश बनेगा इंडिया, जानिए खासियतें

Edited By Updated: 18 Oct, 2025 06:46 PM

india first hydrogen train launch 2025

भारत जल्द ही अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन को पटरी पर उतारने जा रहा है, जिससे वह दुनिया का पांचवां देश बन जाएगा जहां ऐसी ट्रेन चलेगी। यह ट्रेन सोनीपत-गोहाना-जींद रूट पर दौड़ेगी और पूरी तरह प्रदूषण मुक्त होगी। लगभग ₹120 करोड़ की लागत से तैयार यह परियोजना...

नेशनल डेस्क : दीपावली के उत्साह के ठीक बाद देश को एक ऐतिहासिक उपहार मिलने वाला है। भारतीय रेलवे ने देश की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन को तैयार कर लिया है, जो प्रदूषण मुक्त और पर्यावरण अनुकूल होगी। इस ट्रेन को चलाने के लिए हाइड्रोजन गैस का उपयोग किया जाएगा, जिससे न तो बिजली की जरूरत पड़ेगी और न ही किसी अन्य ईंधन की। ट्रेन के शुभारंभ के साथ भारत दुनिया का पांचवां देश बन जाएगा, जहां हाइड्रोजन ट्रेनें संचालित होंगी। यह कदम भारतीय रेलवे के 'नमो ग्रीन रेल' अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

ट्रेन की विशेषताएं और रूट
यह हाइड्रोजन ट्रेन सोनीपत-गोहाना-जींद रूट पर चलेगी, जिसकी कुल लंबाई लगभग 89 किलोमीटर है। ट्रेन की अधिकतम गति 110 से 140 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। इसमें 8 कोच लगे हैं, जो एक बार में 2,638 यात्रियों को ले जाने में सक्षम है। पूरी ट्रेन, उसके डिब्बों समेत, दिल्ली के शकूर बस्ती यार्ड में खड़ी है। इंजन और बोगियां लखनऊ में निर्मित हो चुकी हैं और दिल्ली पहुंच चुकी हैं। इस परियोजना पर लगभग 120 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है।

परीक्षण प्रक्रिया पूरी, दीपावली के बाद हरी झंडी
अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (RDSO) ने जींद स्थित हाइड्रोजन प्लांट में परीक्षण पूरा कर लिया है। इसके बाद रेलवे की एक अन्य शाखा अंतिम जांच करेगी, जिसमें लगभग 10 दिन लगेंगे। यदि कोई बाधा न आई, तो यह ट्रेन इस महीने के अंत तक पटरी पर दौड़ने लगेगी। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पहले ही अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर इस ट्रेन की विशेषताओं का वर्णन करते हुए एक वीडियो साझा किया था।

जींद प्लांट में हाइड्रोजन उत्पादन शुरू
हरियाणा के जींद में 1 मेगावाट (MW) पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन (PEM) इलेक्ट्रोलाइजर के माध्यम से हाइड्रोजन की आपूर्ति की जाएगी। ग्रीनएच इलेक्ट्रोलिसिस के अनुसार, यह इलेक्ट्रोलाइजर निरंतर आधार पर काम करेगा और प्रतिदिन लगभग 430 किलोग्राम हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा। प्लांट के ईंधन भरने के बुनियादी ढांचे में 3,000 किलोग्राम हाइड्रोजन भंडारण क्षमता, हाइड्रोजन कंप्रेसर, प्री-कूलर एकीकरण के साथ दो हाइड्रोजन डिस्पेंसर शामिल हैं। फिलहाल प्लांट में उत्पादन शुरू हो चुका है और परीक्षण चल रहा है।

इसके अलावा, रेल मंत्रालय के अनुसंधान, डिजाइन और मानक संगठन विंग ने चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में पहले हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन कोच का परीक्षण पूरा किया है। उपकरणों के डिजाइन और मानकीकरण की समीक्षा के बाद रिपोर्ट रेलवे बोर्ड, जोनल रेलवे और उत्पादन इकाइयों को सौंपी जाएगी।

क्या है हाइड्रोजन ट्रेन?
हाइड्रोजन ट्रेनें हाइड्रोजन ईंधन का उपयोग करके बिजली पैदा करती हैं और केवल जल वाष्प तथा ऊष्मा को उप-उत्पाद के रूप में उत्सर्जित करती हैं। यह डीजल या इलेक्ट्रिक ट्रेनों से अलग पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है। भारत की यह पहली हाइड्रोजन ट्रेन एक परिवर्तित डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) पर आधारित है, जो जींद-सोनीपत मार्ग पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत चलेगी।

दुनिया के अन्य देशों में हाइड्रोजन ट्रेनें
जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन जैसे देशों में पहले से हाइड्रोजन ट्रेनें संचालित हो रही हैं। जर्मनी के पास सबसे बड़ा बेड़ा है, जबकि अन्य देश परीक्षण या पायलट चरण में हैं। भारत इस सूची में शामिल होकर ग्रीन मोबिलिटी के वैश्विक प्रयासों में योगदान देगा। यह पहल भारतीय रेलवे को 2030 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जक बनाने के लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। हाइड्रोजन ट्रेन से न केवल प्रदूषण कम होगा, बल्कि ऊर्जा दक्षता भी बढ़ेगी, जो देश की सतत विकास यात्रा को मजबूत करेगी।

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