Su-57 बनाम Su-35: भारतीय वायुसेना के लिए क्या है सबसे अच्छा विकल्प? जानें

Edited By Updated: 30 Sep, 2025 02:54 PM

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भारतीय वायुसेना ने रूस के Su-57 फाइटर जेट में फिर से दिलचस्पी दिखाई है। Su-57 पांचवीं पीढ़ी का जेट है, जबकि Su-35 4++ पीढ़ी का विश्वसनीय विमान है। रूस ने दो स्क्वाड्रन “रेडी-टू-फ्लाई” और बाद में भारत में निर्माण का प्रस्ताव दिया है। Su-57 लंबी दूरी...

नेशनल डेस्क : भारतीय वायुसेना एक बार फिर रूस के साथ अपने पुराने संबंधों को नया आयाम देने की दिशा में विचार कर रही है। चर्चा का केंद्र है रूसी 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान Su-57, जिसे भारत ने 2018 में FGFA (Fifth Generation Fighter Aircraft) डील से बाहर कर दिया था। अब रूस ने भारत को एक नया प्रस्ताव दिया है, जिसमें शुरुआती दो स्क्वाड्रन “रेडी-टू-फ्लाई” कंडीशन में खरीदने और बाद में 3-5 स्क्वाड्रन को भारत में ही बनाने का विकल्प शामिल है।

Su-57 बनाम Su-35
भारतीय वायुसेना के सामने अब बड़ा सवाल है कि कौन सा जेट बेहतर रहेगा। Su-35 रूस का 4++ पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसका प्रदर्शन यूक्रेन युद्ध में साबित हो चुका है। यह Su-57 के मुकाबले सस्ता और विश्वसनीय है। वहीं, Su-57 आधुनिक एवियोनिक्स, AESA रडार और सेंसर फ्यूजन जैसी 5वीं पीढ़ी की तकनीक से लैस है। हालांकि इसका स्टील्थ डिज़ाइन केवल 60 डिग्री तक प्रभावी है और बाहरी हथियार ले जाने पर RCS बढ़ जाता है।

सामरिक और तकनीकी लाभ
विशेषज्ञों का मानना है कि Su-35, Su-30 MKI से अधिक रणनीतिक लाभ नहीं देगा। जबकि Su-57, भले ही सीमित स्टील्थ वाला है, चीन के J-20 और पाकिस्तान के संभावित F-35 के खिलाफ भारत को रणनीतिक बढ़त दे सकता है। Su-57 लंबी दूरी की R-37M एयर-टू-एयर और हाइपरसोनिक किंझल मिसाइल ले जाने में सक्षम है, जिससे ‘बियॉन्ड विजुअल रेंज’ मुकाबले में फायदा मिलता है।

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत
Su-57 डील के साथ रूस ने टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और भारत में निर्माण का प्रस्ताव रखा है। इससे भारत की रक्षा क्षमता मजबूत होगी और स्वदेशी AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) प्रोग्राम के लिए भी लाभ मिलेगा। अमेरिका के F-35 को भारत को बेचने की संभावना कम है, और यदि बेचा भी गया तो टेक्नोलॉजी ट्रांसफर सीमित होगा।

चुनौतियां और जोखिम
Su-57 महंगा है (150-200 मिलियन डॉलर प्रति जेट) और इसमें तकनीकी चुनौतियां हैं। रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों की वजह से सप्लाई और रखरखाव में भी जोखिम है। Su-35 सस्ता (लगभग 80 मिलियन डॉलर) और भरोसेमंद है, लेकिन इसकी स्टील्थ क्षमता सीमित है।

भारतीय वायुसेना की रणनीति
वर्तमान में भारतीय वायुसेना 31 स्क्वाड्रनों के साथ संचालित हो रही है, जबकि 42 स्क्वाड्रनों की आवश्यकता है। मिग-21 के रिटायर होने और तेजस जेट्स की उत्पादन देरी ने यह अंतर और बढ़ाया है। Su-57 प्रस्ताव IAF के लिए एक अंतरिम समाधान हो सकता है, जो Su-30 MKI और राफेल के साथ मिलकर सामरिक ताकत बढ़ाएगा।

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