Edited By Shubham Anand,Updated: 21 Nov, 2025 05:36 PM

केंद्र सरकार ने चार नए श्रम कोड लागू कर दिए हैं, जो 29 पुराने श्रम कानूनों का स्थान लेंगे। नए कोड वेतन संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा संहिता से करीब 40 करोड़ असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को सामाजिक...
नेशनल डेस्क : केंद्र सरकार ने देश के 29 पुराने श्रम कानूनों को खत्म कर चार नए लेबर कोड लागू कर दिए हैं। केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कामगारों के हित में उठाया गया ऐतिहासिक कदम बताया। मांडविया ने कहा कि इन सुधारों से न केवल नियम सरल होंगे बल्कि कामगारों को गरिमा, सुरक्षा और आर्थिक मजबूती भी मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि “आज हमारी सरकार ने चार लेबर कोड लागू कर दिए हैं। आज़ादी के बाद यह सबसे बड़े और प्रगतिशील श्रमिक-केंद्रित सुधारों में से एक है। इससे कामगारों को नई ताकत मिलेगी, नियमों का पालन आसान होगा और ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ को बढ़ावा मिलेगा।”
चार नए कोड में समाहित पुराने कानून
आजादी से पहले और बाद के शुरुआती दौर में बने कुल 29 श्रम कानून अब चार कोडों में शामिल कर दिए गए हैं—
वेतन संहिता
औद्योगिक संबंध संहिता
सामाजिक सुरक्षा संहिता
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य परिस्थितियाँ संहिता
सरकार का कहना है कि आज की बदलती अर्थव्यवस्था और कार्यशैली के अनुसार श्रम कानूनों का आधुनिकीकरण आवश्यक था।
हर कर्मचारी को अब मिलेगा नियुक्ति पत्र
नए कोड के तहत अब हर कर्मचारी को जॉइनिंग के समय अप्वाइंटमेंट लेटर देना अनिवार्य होगा। इससे कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लगेगा और पारदर्शिता बढ़ेगी। वहीं, असंगठित क्षेत्र के लगभग 40 करोड़ कामगार अब सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आ गए हैं, जिससे उन्हें पीएफ, ईएसआईसी और पेंशन जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी।
सिर्फ एक साल की नौकरी पर ग्रैच्युटी
फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉई (FTE) के लिए सरकार ने बड़ा बदलाव किया है। अब महज एक साल की सेवा पूरी करने पर भी कर्मचारियों को ग्रैच्युटी का हक मिलेगा। पहले इसके लिए पांच साल की सेवा आवश्यक थी। इसके साथ ही तय समय से अधिक काम करने पर कर्मचारियों को ओवरटाइम के रूप में सामान्य वेतन का दोगुना भुगतान देना अनिवार्य होगा। वेतन का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए भी सख्त प्रावधान किए गए हैं।
महिलाओं और गिग वर्कर्स के लिए नई संभावनाएं
महिलाओं के लिए समान काम का समान वेतन सुनिश्चित किया गया है। अब उनकी सहमति और सुरक्षा व्यवस्था होने पर वे रात की शिफ्ट में भी काम कर सकेंगी। इससे उन्हें उच्च वेतन वाले उद्योगों में बराबर अवसर मिलेंगे।
वहीं, जोमैटो, स्विगी, ओला और उबर जैसे प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को पहली बार कानूनी पहचान दी गई है। अब इन कंपनियों को अपने वार्षिक टर्नओवर का 1-2 प्रतिशत हिस्सा इन वर्कर्स के कल्याण कोष में देना होगा। आधार से जुड़े यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) के जरिए ये श्रमिक देश में कहीं से भी अपनी योजनाओं का लाभ ले सकेंगे।
40 वर्ष से अधिक उम्र वालों के लिए वार्षिक स्वास्थ्य जांच
नए नियमों के अनुसार, 40 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले कर्मचारियों के लिए नियोक्ताओं को सालाना मुफ्त स्वास्थ्य जांच की सुविधा देनी होगी। इससे कार्यबल के स्वास्थ्य की निगरानी और बीमारियों की रोकथाम में मदद मिलेगी। साथ ही खतरनाक कार्य क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को 100 प्रतिशत स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। ईएसआईसी का दायरा देशभर में बढ़ाया गया है ताकि छोटे प्रतिष्ठानों और एमएसएमई क्षेत्रों के कर्मचारी भी इलाज की सुविधा पा सकें।
मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि ये सुधार वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। सरकार का मानना है कि इन कोड्स से जहां श्रमिकों का जीवन बेहतर होगा, वहीं उद्योग जगत में भी उत्पादकता और पारदर्शिता बढ़ेगी।