Edited By Tanuja,Updated: 02 Sep, 2024 12:50 PM
पिछले 10 वर्षों में भारत के रक्षा निर्यात में 30 गुना से अधिक की जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। इस दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-हमास संघर्ष जैसी वैश्विक घटनाओं ने इस क्षेत्र को और मजबूती प्रदान की...
International Desk: पिछले 10 वर्षों में भारत के रक्षा निर्यात में 30 गुना से अधिक की जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। इस दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-हमास संघर्ष जैसी वैश्विक घटनाओं ने इस क्षेत्र को और मजबूती प्रदान की है, जिससे रक्षा उद्योग को नई ऊंचाईयां मिली हैं। भारत अब 90 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है। इस वृद्धि के पीछे सरकार की सरल लाइसेंसिंग सिस्टम और अनुमतियों में सुधार की पहल है। जहां अमेरिका भारत का सबसे बड़ा रक्षा निर्यात गंतव्य बन चुका है, वहीं सरकार अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों में भी नए बाजार तलाश रही है।
भारत के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में देश के रक्षा निर्यात ने 2.63 बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि है। पिछले 10 वर्षों में भारत के रक्षा निर्यात में 31 गुना वृद्धि हुई है, जो उल्लेखनीय है। रक्षा क्षेत्र की इस बढ़त में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र, दोनों का बड़ा योगदान है। निजी कंपनियों ने 60 प्रतिशत और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (DPSUs) ने 40 प्रतिशत योगदान दिया है। निर्यात प्राधिकरणों की संख्या में भी पिछले वर्ष के मुकाबले बढ़ोतरी देखी गई है।यह सफलता सरकार की नीतिगत सुधारों और 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' के प्रयासों का नतीजा है। 2014 में, भारत सरकार ने पहली बार रक्षा निर्यात रणनीति को लागू किया, जिससे रक्षा निर्यात में तेजी आई।
आत्मनिर्भर भारत अभियान और 2020 की रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) ने इस क्षेत्र को और मजबूत किया। भारत ने फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल और आर्मेनिया के साथ आर्टिलरी और वायु रक्षा प्रणालियों जैसे कई महत्वपूर्ण रक्षा सौदे किए हैं। इस तरह के सौदे भारत की रक्षा क्षमताओं और उत्पादों की वैश्विक स्वीकार्यता को और मजबूत कर रहे हैं। इस प्रकार, भारत का रक्षा निर्यात क्षेत्र न केवल देश की आर्थिक मजबूती को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की स्थिति को सुदृढ़ कर रहा है।