Edited By Pardeep,Updated: 07 Dec, 2025 01:18 AM

जापान का नाम आते ही हमारे दिमाग में एक साफ-सुथरा, अनुशासित और सांस्कृतिक रूप से बेहद समृद्ध देश की छवि बनती है। यहाँ बच्चों की पढ़ाई, अनुशासन और समाज में रहने का तरीका दुनिया से काफी अलग है। जापानी लोग अपने कल्चर को बहुत महत्व देते हैं और उससे कभी...
इंटरनेशनल डेस्कः जापान का नाम आते ही हमारे दिमाग में एक साफ-सुथरा, अनुशासित और सांस्कृतिक रूप से बेहद समृद्ध देश की छवि बनती है। यहाx बच्चों की पढ़ाई, अनुशासन और समाज में रहने का तरीका दुनिया से काफी अलग है। जापानी लोग अपने कल्चर को बहुत महत्व देते हैं और उससे कभी समझौता नहीं करते।
इसी वजह से कई बार जापान अपने फैसलों को लेकर विवादों में आ जाता है। इस समय भी ऐसा ही एक मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।
मुस्लिम समुदाय की मांग – कब्रिस्तान की जरूरत
जापान में रह रहे मुसलमानों ने सरकार से अनुरोध किया था कि उनके लिए अलग से एक कब्रिस्तान बनाया जाए, जहाँ वे अपने परिजनों को दफना सकें। क्योंकि इस्लाम धर्म में दफनाना जरूरी माना जाता है। यह मामला संसद तक गया, लेकिन वहां इस मांग को सीधे शब्दों में खारिज कर दिया गया।
जापानी सांसद ने क्या कहा?
सांसद मिजूहो उमेमुरा ने संसद में कहा, जापान में मुस्लिम कब्रिस्तान की मांग स्वीकार नहीं है। हमारे देश में 99% लोग अपने परिजनों का दाह-संस्कार करते हैं। यही जापान की परंपरा है, इसे हम बदल नहीं सकते। मुसलमान अपने प्रियजनों के शव अपने देश भेजकर वहीं दफनाएं यही उचित है। उनके इस बयान के बाद जापान का रुख बिल्कुल साफ हो गया है जापान अपने धार्मिक-सांस्कृतिक नियम नहीं बदलेगा।
जापान की प्रधानमंत्री भी कड़े रुख पर
जापान की वर्तमान महिला प्रधानमंत्री सानेए ताकाइची अपने “Japan First” विचारों के लिए जानी जाती हैं। उनका कहना है विदेशी कामगारों का स्वागत है लेकिन उन्हें जापान के नियम-कानून और संस्कृति का पालन करना ही होगा। इससे पता चलता है कि सरकार का भी रुख मुस्लिम कब्रिस्तान को लेकर सख्त ही रहने वाला है।
जापान में मुस्लिम आबादी बढ़ रही है
एक अनुमान के मुताबिक जापान में अब 2 लाख से ज्यादा मुस्लिम रह रहे हैं। मगर फिर भी दफनाने (कब्र) और दाह-संस्कार के नियमों में बड़ा टकराव है। कुछ शहरों ने स्थानीय स्तर पर छोटे-मोटे कब्रिस्तान बनाने की कोशिश की है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर नीति स्पष्ट है—जापान अपनी परंपरा नहीं बदलेगा।
जापान का मूल संदेश क्या है?
जापान की नीति का सार यही है: “जापान में रहना है, तो जापानी संस्कृति का पालन करना होगा।” अर्थात जापान विदेशी कामगारों को अपने जनसंख्या संकट के कारण बुलाएगा लेकिन सांस्कृतिक बदलाव एकतरफा होगा विदेशी लोग जापान की परंपराएं अपनाएं। जापान अपनी पुरानी रीति-रिवाजों में बदलाव नहीं करेगा