सिंगापुर में कमाए ₹1 लाख डॉलर, भारत में बन जाएंगे करोड़पति? आंकड़ा देखकर उड़ जाएंगे होश

Edited By Updated: 26 Sep, 2025 09:37 AM

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भारतीय रुपया सिंगापुर डॉलर के मुकाबले काफी कमजोर जरूर है, लेकिन यह फर्क सिर्फ संख्याओं का नहीं है — बल्कि यह दो देशों की आर्थिक यात्रा, नीतियों और वैश्विक दृष्टिकोण को भी दर्शाता है। करेंसी का मूल्य जहां आर्थिक स्थिरता, व्यापारिक माहौल और नीतिगत...

नेशनल डेस्क: भारतीय रुपया सिंगापुर डॉलर की तुलना में कमजोर जरूर है, लेकिन ये सिर्फ एक संख्या का फर्क नहीं है। ये दोनों देशों की आर्थिक स्थिति, नीतियों और विकास के स्तर को भी दर्शाता है। करेंसी की कीमत से देश की आर्थिक मजबूती और लोगों की आमदनी, जीने का तरीका भी प्रभावित होता है। आइए समझते हैं कैसे सिंगापुर की मजबूत मुद्रा और भारत की उभरती अर्थव्यवस्था एक-दूसरे से भिन्न हैं — और यह फर्क क्या कहता है।

1. करेंसी का वर्तमान मूल्य

सिंगापुर की आधिकारिक मुद्रा सिंगापुर डॉलर (SGD) है। करेंसी एक्सचेंज सेवा Wise के अनुसार, 1 सिंगापुर डॉलर की कीमत लगभग ₹68.64 भारतीय रुपये है। यानी, अगर आप सिंगापुर में 1 लाख डॉलर कमाते हैं, तो भारत में वह रकम लगभग ₹68.63 लाख होती है। यह अनुपात न केवल मुद्रा की ताकत को दर्शाता है, बल्कि यह बताता है कि क्यों सिंगापुर डॉलर को एक 'हार्ड करेंसी' यानी विश्वसनीय मुद्रा माना जाता है।

2. दो अर्थव्यवस्थाओं का फर्क

भारतीय रुपया एक उभरती हुई विकासशील अर्थव्यवस्था की पहचान है, जो अब भी वैश्विक स्तर पर स्थिरता की ओर अग्रसर है। वहीं, सिंगापुर की अर्थव्यवस्था को विकसित, सुसंगठित और भरोसेमंद माना जाता है।

सिंगापुर की अर्थव्यवस्था स्थिर है और यहां की मॉनिटरी अथॉरिटी ऑफ सिंगापुर (MAS) करेंसी की वैल्यू को बनाए रखने में बेहद सक्रिय और सक्षम भूमिका निभाती है।  वहीं भारत को कई आंतरिक और वैश्विक चुनौतियों से जूझना पड़ता है - जैसे जनसंख्या का दबाव, आयात-निर्यात असंतुलन, और महंगाई दर।

3. क्यों इतना मजबूत है सिंगापुर डॉलर?

  • सिंगापुर न केवल एक एशियाई टाइगर है, बल्कि एक ग्लोबल फाइनेंशियल सेंटर भी है।
  • यहां की बैंकिंग व्यवस्था पारदर्शी और भरोसेमंद है।
  • विदेशी निवेशकों का विश्वास उच्च है।
  • व्यापारिक माहौल स्थिर और आसान है।
  • इन्हीं वजहों से सिंगापुर डॉलर को ग्लोबल इन्वेस्टर्स भी एक सुरक्षित और स्थिर करेंसी मानते हैं।

4. भारतीय रुपये की चुनौतियां

  • रुपये की कमजोरी कई बार आर्थिक नीतियों की वजह से होती है, लेकिन कुछ बाहरी और ऐतिहासिक कारण भी हैं:
  • भारत का बड़ा आयात बिल, खासकर तेल और सोना।
  • वैश्विक बाजारों में डॉलर की मजबूती।
  • भारत में मुद्रास्फीति (महंगाई) का स्तर अपेक्षाकृत अधिक होना।
  • इन चुनौतियों के बावजूद, भारत लगातार सुधार की दिशा में प्रयास कर रहा है।

5. करेंसी की संस्कृति और विरासत

  • सिंगापुर में इस्तेमाल होने वाले नोट और सिक्के केवल आर्थिक लेन-देन का जरिया नहीं हैं, वे देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को भी दर्शाते हैं।
  • सिंगापुर में नोट्स: 2, 5, 10, 50, 100, 1000 और 10,000 SGD।
  • सिक्के: 5, 10, 20, 50 सेंट और 1 SGD।
  • इन पर छपे डिज़ाइनों में राष्ट्रीय प्रतीक, स्थापत्य धरोहर और सांस्कृतिक पहचान दिखाई देती है।

6. प्रवासी भारतीयों की स्थिति में सुधार

  • सिंगापुर में बसे भारतीय समुदाय ने बीते कुछ दशकों में काफी तरक्की की है।
  • देश के होम और कानून मंत्री के. शानमुगम के अनुसार, सिंगापुर में भारतीयों की शिक्षा और आय का स्तर तेजी से बढ़ा है।
  • पिछले दस सालों में भारतीय मूल के लोगों की औसत मासिक आय ₹40% तक बढ़कर 8,500 SGD हो गई है, जो पहले 6,000 SGD थी।
  • इससे यह साबित होता है कि सिंगापुर की नीतियां प्रवासियों को आगे बढ़ने का अवसर देती हैं — बशर्ते वे मेहनत और नीयत से काम करें।

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