भारतीय टायर उद्योग को 2025 में 8% तक की ग्रोथ की उम्मीद, रिप्लेसमेंट डिमांड बना सहारा

Edited By Updated: 19 Jul, 2025 07:13 PM

indian tyre industry growth forecast 2025 replacement demand export challenges

घरेलू टायर उद्योग के लिए चालू वित्त वर्ष अच्छी खबर लेकर आ सकता है। क्रिसिल रेटिंग्स की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय टायर उद्योग को वित्त वर्ष 2025 में 7 से 8 प्रतिशत तक की राजस्व वृद्धि देखने को मिल सकती है। यह वृद्धि मुख्य रूप से रिप्लेसमेंट...

नेशनल डेस्क : घरेलू टायर उद्योग के लिए चालू वित्त वर्ष अच्छी खबर लेकर आ सकता है। क्रिसिल रेटिंग्स की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय टायर उद्योग को वित्त वर्ष 2025 में 7 से 8 प्रतिशत तक की राजस्व वृद्धि देखने को मिल सकती है। यह वृद्धि मुख्य रूप से रिप्लेसमेंट डिमांड से प्रेरित होगी, जो उद्योग की कुल वार्षिक बिक्री का लगभग 50% हिस्सा है।

रिप्लेसमेंट डिमांड बना सहारा, OEM मांग में सुस्ती
रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही ओईएम (मूल उपकरण निर्माता) से मांग थोड़ी कमजोर रहने की आशंका है, लेकिन रिप्लेसमेंट बाजार की मजबूती उद्योग को सहारा देगी। ओईएम वे कंपनियाँ होती हैं जो अपने ब्रांड के तहत किसी अन्य निर्माता से उत्पाद लेकर बेचती हैं। इस सेगमेंट में मांग सुस्त रहने की संभावना है।

प्रीमियम टायरों की मांग बढ़ेगी
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि प्रीमियम उत्पादों की मांग में वृद्धि से कंपनियों की रियलाइजेशन (प्रति यूनिट कमाई) को थोड़ी राहत मिल सकती है। हालांकि, वैश्विक व्यापार तनाव और अमेरिकी टैरिफ के चलते चीनी उत्पादकों द्वारा अन्य बाजारों में स्टॉक डंप करने का खतरा भारतीय टायर कंपनियों के लिए चिंता का कारण बन सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, स्थिर इनपुट लागत और बेहतर क्षमता उपयोग के चलते टायर कंपनियों की ऑपरेटिंग प्रॉफिटेबिलिटी 13 से 13.5 प्रतिशत के स्तर पर बनी रह सकती है। मजबूत नकदी प्रवाह, संतुलित बैलेंस शीट और नियंत्रित पूंजीगत व्यय के चलते इस क्षेत्र की क्रेडिट प्रोफाइल स्थिर रहने की संभावना है।

टॉप छह कंपनियों का बाजार पर कब्जा
रिपोर्ट में भारत की शीर्ष छह टायर कंपनियों का विश्लेषण किया गया है, जो सभी प्रमुख वाहन श्रेणियों की जरूरतों को पूरा करती हैं और देश के टायर बाजार के 85% राजस्व में योगदान देती हैं। रिपोर्ट बताती है कि घरेलू बाजार से 75% बिक्री होती है, जबकि 25% हिस्सा निर्यात से आता है।

निर्यात पर टैरिफ का साया
रिपोर्ट के अनुसार, टायर उद्योग को निर्यात क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका, जो भारत के कुल टायर निर्यात में 17% हिस्सेदारी रखता है, ने हाल ही में कई भारतीय वस्तुओं पर जवाबी टैरिफ लगाए हैं, जिससे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति कमजोर हो सकती है।

चीन की आपूर्ति बनी चुनौती
वहीं, अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए भारी टैरिफ के चलते अब चीनी कंपनियां भारत जैसे मूल्य-संवेदनशील बाजारों की ओर रुख कर रही हैं। भारत सरकार ने सस्ते आयात को रोकने के लिए चीन से आयातित ट्रक और बस रेडियल टायरों पर 17.57% तक एंटी-डंपिंग और प्रतिकारी शुल्क लगाया है। रिपोर्ट में यह भी चेताया गया है कि अगर समय रहते उचित सुरक्षा उपाय नहीं किए गए, तो अन्य टायर खंडों में भी सस्ते विदेशी टायरों की आमद बढ़ सकती है, जिससे घरेलू कमाई पर दबाव बन सकता है।

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