Edited By Rohini Oberoi,Updated: 09 Nov, 2025 03:55 PM

हमारे समाज में मासिक धर्म (Periods) जैसे विषय आज भी अत्यधिक निजी (Private) माने जाते हैं जिन पर खुलकर बात करना आम नहीं है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि अगर कोई किसी महिला या लड़की से उसके पीरियड्स की तारीख पूछ ले तो क्या यह कानूनन...
नेशनल डेस्क। हमारे समाज में मासिक धर्म (Periods) जैसे विषय आज भी अत्यधिक निजी (Private) माने जाते हैं जिन पर खुलकर बात करना आम नहीं है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि अगर कोई किसी महिला या लड़की से उसके पीरियड्स की तारीख पूछ ले तो क्या यह कानूनन गुनाह है और इसके लिए सज़ा हो सकती है? भारत में इस तरह के सवाल की कानूनी स्थिति को समझना बेहद ज़रूरी है।
क्या पीरियड्स की तारीख पूछना अपने आप में अपराध है?
भारत में ऐसा कोई सीधा कानून नहीं है जो केवल किसी महिला से उसकी पीरियड्स की तारीख पूछने को अपराध घोषित करता हो। अगर यह सवाल स्वास्थ्य, देखभाल या पेशेवर इरादे (जैसे डॉक्टर, नर्स, या परिवार का सदस्य) से पूछा जाता है तो यह अपराध नहीं है।
यह सवाल तब कानूनी कार्रवाई के दायरे में आ सकता है जब यह गलत इरादे जैसे मज़ाक उड़ाने, शर्मिंदा करने, अपमानित करने या महिला की प्राइवेसी भंग करने के उद्देश्य से किया गया हो। ऐसे मामलों में इसे महिला की गरिमा और निजता (Privacy) का उल्लंघन माना जा सकता है।

ऐसी स्थिति में कितनी सज़ा मिल सकती है?
हालांकि यह सवाल अपने आप में अपराध नहीं है लेकिन परिस्थितियों के आधार पर यह कानूनी कार्रवाई के दायरे में आ सकता है:
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment at Workplace):
अगर कोई व्यक्ति ऑफिस में किसी महिला से उसके पीरियड्स को लेकर सवाल करता है या बार-बार ऐसे निजी मुद्दों पर टिप्पणी करता है तो इसे यौन उत्पीड़न माना जा सकता है।
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कानून: Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act, 2013 के तहत कार्रवाई हो सकती है।
सज़ा: दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को नौकरी से निकाला जा सकता है।

महिला की मर्यादा भंग करना
अगर किसी लड़की से यह सवाल भीड़ या सोशल मीडिया में इस मकसद से पूछा जाए कि उसे शर्मिंदा किया जाए या अपमानित किया जाए तो यह महिला की मर्यादा भंग करने का अपराध माना जा सकता है।
कानून: भारतीय न्याय संहिता (BNS) या अन्य संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई हो सकती है।
सज़ा: इसमें 1 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं (BNS लागू होने पर संबंधित धाराएं देखी जाएंगी)।
निजता (Privacy) का उल्लंघन
भारत के संविधान के तहत निजता एक मौलिक अधिकार है। किसी महिला की निजी शारीरिक जानकारी उसकी बिना अनुमति पूछना या साझा करना उसकी प्राइवेसी का उल्लंघन हो सकता है। इसके लिए वह व्यक्ति सिविल मुकदमा भी दायर कर सकता है।