Jagannath Rath Yatra 2025 : पुरी में फिर गूंजेगा जय जगन्नाथ, आज से शुरू हो रही है दिव्य रथ यात्रा

Edited By Updated: 27 Jun, 2025 06:31 AM

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विश्वप्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा आज से भक्ति, आस्था और सांस्कृतिक एकता का अद्वितीय संगम लेकर पुरी की पावन धरती पर आरंभ हो रही है।

नेशनल डेस्कः विश्वप्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा आज से भक्ति, आस्था और सांस्कृतिक एकता का अद्वितीय संगम लेकर पुरी की पावन धरती पर आरंभ हो रही है। यह रथ यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से शुरू होकर नौ दिनों तक चलेगी, जिसमें भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर (अपनी मौसी के घर) की ओर प्रस्थान करेंगे।

क्या है रथ यात्रा?

रथ यात्रा हिन्दू धर्म की सबसे विशाल और ऐतिहासिक यात्राओं में से एक है। इस दिन तीनों देवता अपने-अपने रथों पर सवार होकर भक्तों के साथ नगर भ्रमण करते हैं, जिससे हर भक्त को भगवान के साक्षात दर्शन का अवसर मिलता है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु भगवान के रथ को खींचते हैं या छूते हैं, उन्हें पुण्य, मोक्ष और भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

रथों की भव्यता: कारीगरी और परंपरा का अद्भुत संगम

हर साल रथों को विशेष रूप से चयनित जंगलों की पवित्र लकड़ी से नए सिरे से बनाया जाता है। पुरी के पारंपरिक कारीगर, जिन्हें "महरणा" और "भुइंयां" कहा जाता है, रथ निर्माण की पीढ़ियों पुरानी परंपरा को आगे बढ़ाते हैं।

देवता रथ का नाम पहियों की संख्या ऊंचाई
भगवान जगन्नाथ नंदीघोष 18 45 फीट
बलभद्र तालध्वज 16 44 फीट
देवी सुभद्रा दर्पदलन 14 43 फीट

 

रथों को रंग-बिरंगे कपड़ों, चित्रों, झंडियों और फूलों से सजाया गया है। हर रथ की अपनी ध्वजा होती है और यात्रा के दौरान संगीत, ढोल-नगाड़ों और संकीर्तन की गूंज वातावरण को भक्तिमय बनाती है।

‘छेर-पहरा’ – जब राजा बनते हैं सेवक

रथ यात्रा की शुरुआत से पहले पुरी के गजपति महाराज पारंपरिक ‘छेर पहरा’ रस्म निभाते हैं। वे सोने की झाड़ू से रथों के रास्ते की सफाई करते हैं। यह प्रथा बताती है कि भगवान के सामने राजा और रंक समान हैं, और सभी को सेवा भाव से जुड़ना चाहिए।

गुंडिचा यात्रा और बहुड़ा यात्रा

  • गुंडिचा मंदिर यात्रा: पहले दिन, तीनों देवता श्रीमंदिर से रथों द्वारा गुंडिचा मंदिर जाते हैं। वहां 7 दिन विश्राम करते हैं।

  • बहुड़ा यात्रा (वापसी): इसके बाद नौवें दिन वापसी यात्रा होती है, जिसे बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।

  • रथ यात्रा के अंतिम दिन ‘सुनाबेसा’ की रस्म होती है, जिसमें भगवान को सोने के आभूषणों से सजाया जाता है।

विदेशी श्रद्धालुओं की बढ़ती भागीदारी

पुरी की रथ यात्रा में न केवल देशभर से बल्कि अमेरिका, रूस, जापान, ब्राज़ील, जर्मनी जैसे देशों से हजारों विदेशी श्रद्धालु आते हैं। ISKCON जैसे संगठन भी इसमें सक्रिय भागीदारी करते हैं और इसे एक वैश्विक आध्यात्मिक आयोजन बनाते हैं।

लाइव दर्शन और सुरक्षा व्यवस्था

  • ओडिशा सरकार और पुरी प्रशासन ने लाखों भक्तों के लिए विशाल सुरक्षा इंतजाम किए हैं।

  • रथ यात्रा को राष्ट्रीय टीवी चैनलों, यूट्यूब और सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण के माध्यम से देखा जा सकता है।

  • रेलवे और बस सेवाएं बढ़ाई गई हैं, साथ ही 5000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।

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