1 जनवरी से उत्तराखंड में बाहर की गाड़ियों पर लगेगा ग्रीन सेस, कीमत 80–700 रुपये

Edited By Updated: 20 Dec, 2025 11:00 AM

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उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण और राज्य के राजस्व को मजबूत करने के लिए एक नई योजना लागू की जा रही है। राज्य सरकार ने तय किया है कि 1 जनवरी 2025 से बाहर से आने वाली सभी वाहनों को राज्य में प्रवेश करते समय ‘ग्रीन सेस’ देना होगा। यह शुल्क वाहन की...

नेशनल डेस्क: उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण और राज्य के राजस्व को मजबूत करने के लिए एक नई योजना लागू की जा रही है। राज्य सरकार ने तय किया है कि 1 जनवरी 2025 से बाहर से आने वाली सभी वाहनों को राज्य में प्रवेश करते समय ‘ग्रीन सेस’ देना होगा। यह शुल्क वाहन की कैटेगरी के हिसाब से अलग-अलग होगा, जो 80 रुपये से लेकर 700 रुपये तक हो सकता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में राजस्व समीक्षा बैठक में चिंता जताई कि इस योजना को दो साल से लागू नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि इससे राज्य को करीब 100 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का अनुमान है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इसे जल्द से जल्द लागू करने के निर्देश दिए हैं।

कौन कितना देगी फीस?

एक बार दी गई ग्रीन सेस पूरी दिन के लिए मान्य होगी। इसके अलावा, अगर कोई वाहन 20 गुना शुल्क एक बार में भुगतान करता है तो उसे तीन महीने की छूट मिलेगी, और 60 गुना शुल्क देने पर एक साल की छूट भी मिलेगी।

तकनीक के जरिए आसान भुगतान

इस योजना के तहत शुल्क फास्टैग सिस्टम के माध्यम से लिया जाएगा। उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से लगी सीमाओं पर पहले ही 10 बॉर्डर चेक पोस्ट तैयार हैं, जबकि 6 अन्य पर काम जारी है। प्रमुख बॉर्डर्स पर लगे NPR कैमरे सीधे फास्टैग से ग्रीन सेस काटेंगे। सरकार को उम्मीद है कि इस योजना से हर साल करीब 50 करोड़ रुपये की आय होगी, जिसे पर्यावरण संरक्षण और राज्य के विकास कार्यों में लगाया जाएगा।

कुछ वाहनों को छूट

  • दूसरे राज्यों के दोपहिया वाहन

  • केंद्र और राज्य सरकार के वाहन

  • ट्रैक्टर, ट्रॉली, रोड रोलर, कम्बाइन हार्वेस्टर

  • एंबुलेंस, शव वाहन, फायर ब्रिगेड और सेना के वाहन

  • बिजली, सोलर, हाइब्रिड और CNG वाहन

आर्थिक मजबूती और विकास

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य की आर्थिक मजबूती के लिए पूंजीगत निवेश बढ़ाया जा रहा है। 34 प्रतिशत की बढ़ोतरी से सड़कों, पुलों और अन्य बुनियादी ढांचे के काम तेज होंगे। उन्होंने राजस्व की निगरानी, कर चोरी रोकने के लिए तकनीकी उपाय और रजिस्ट्रेशन प्रक्रियाओं को पूरी तरह डिजिटल करने के निर्देश दिए।

सरकार का उद्देश्य है कि राज्य अपनी आर्थिक शक्ति बढ़ाए और विकास के लिए अपने संसाधनों का उपयोग करे। खनन सुधारों से राज्य को पहले ही 200 करोड़ रुपये मिले हैं, जबकि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 24,015 करोड़ रुपये का कर लक्ष्य तय किया गया है।

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