Cyclone Nivar : जानिए कैसे रखे जाते हैं चक्रवाती तूफानों के नाम...कौन करता है नामकरण

Edited By Seema Sharma,Updated: 25 Nov, 2020 02:14 PM

know how the names of cyclonic storms are kept

तमिलनाडु और पुड्डुचेरी से बुधवार आधी रात को चक्रवाती तूफान ‘निवार' गुजरने वाला है जिसको देखते हुए दोनों राज्य की सरकारें अलर्ट पर हैं और तूफान के दौरान कम नुकसान हो इस पर काम हो रहा है। तूफान को देखते हुए जहां प्रशासन ने कमर कस ली है वहीं एक सवाल जो...

नेशनल डेस्कः तमिलनाडु और पुड्डुचेरी से बुधवार आधी रात को चक्रवाती तूफान ‘निवार' गुजरने वाला है जिसको देखते हुए दोनों राज्य की सरकारें अलर्ट पर हैं और तूफान के दौरान कम नुकसान हो इस पर काम हो रहा है। तूफान को देखते हुए जहां प्रशासन ने कमर कस ली है वहीं एक सवाल जो दिमाग में आता है कि इस चक्रवात का नाम निवार कैसे पड़ा और किसने इसके यह नाम दिया। निवारण का मतलब होता है किसी समस्या या शिकायत का हल निकालना। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के दिशानिर्देशों के आधार पर तूफान को साइक्लोन निवार नाम दिया गया है।

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कौन रखता है चक्रवाती तूफानों के नाम
1953 से मायामी नेशनल हरीकेन सेंटर और वर्ल्ड मीटरियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) तूफ़ानों और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम रखता रहा है। लेकिन उत्तरी हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवातों का कोई नाम नहीं रखा गया था। ऐसे में, भारत की पहल पर 2004 में हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने तूफानों के नामकरण की व्यवस्था शुरू की गई। बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका इनमें शामिल हैं। भारत ने अब तक 32 तूफानों में से चार को नाम दिया है - लहर, मेघ, सागर और वायु। वहीं, पाकिस्तान की तरफ से फानूस और नर्गिस तूफानों के नाम रखे गए।

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कैसे रखते हैं नाम
चक्रवातों के नाम एक समझौते के तहत रखे जाते हैं। अंग्रेजी वर्णमाला के अनुसार सदस्य देशों के नाम के पहले अक्षर के अनुसार उनका क्रम तय किया गया है जैसे सबसे पहले बांग्लादेश फिर भारत मालदीव और म्यांमार का नाम आता है। सभी देश पहले ह चक्रवातों के नाम WMO को भेज देता हैं। तूफान की गति उसके प्रभाव को देखते हुए देशों द्वारा दिए गए नामों में से एक नाम उस तूफान का रख दिया जाता है।

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इसलिए रखा जाता है नाम
चक्रवात तूफान का नामकरण इसलिए किया जाता है ताकि लोगों को इसके बारे में आसानी से चेतावनी दी जा सके। इससे होने वाले खतरे के बारे में भी लोगों को जल्द से जल्द सतर्क किया जा सके। लोग अगर तूफान से वाकिफ होंगे तो सरकार के साथ तालमेल बनाकर बेहतर प्रबंधन और तैयारियां कर सकेंगे। साथ ही लोग इन तूफानों के नाम याद रख सकें इसलिए तूफानों का नाम छोटा रखा जाता है।

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ये नाम रहे चर्चा में
हुदहुद, लैला, निलोफर, वरदा, कैटरीना, नीलम, फैलीन, हेलन, अम्फान और तितली तूफान के नाम काफी चर्चा में रहे हैं। बता दें कि इसी साल आए अम्फान तूफान का नाम थाईलैंड ने प्रस्तावित किया था और जो 2004 में तैयार भविष्य के तूफानों के नामों की सूची में आखिरी नाम था। 

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भविष्य में ये हो सकते हैं तूफानों के नाम
उत्तरी हिंद महासागर और अरब सागर में भविष्य में उठने वाले तूफान शाहीन, गुलाब, तेज, अग्नि और आग जैसे नामों से जाने जाएंगे क्योंकि 13 देशों द्वारा भविष्य के लिए सुझाए गए 169 नामों में ये शामिल हैं। भारत ने भविष्य में आने वाले तूफानों के लिए ये नाम प्रस्तावित किए हैं- गति, तेज और मुरासु (तमिल वाद्य यंत्र), आग, नीर, प्रभंजन, घृणी, अम्बुध, जलधि और वेग। इसके अलावा बांग्लादेश, ईरान, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, कतर, साऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और यमन ने 13-13 नाम सुझाए हैं। बांग्लादेश द्वारा प्रस्तावित अर्नब, कतर द्वारा प्रस्तावित शाहीन, पाकिस्तान द्वारा प्रस्तावित लुलु, म्यांमार द्वारा प्रस्तावित पिंकू, कतर द्वारा प्रस्तावित बहार नाम दिया है।

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