Edited By Mehak,Updated: 28 Oct, 2025 01:55 PM

नींद की कमी सिर्फ थकान नहीं लाती, बल्कि यह दिल की बीमारियों का बड़ा कारण बन सकती है। लगातार कम नींद लेने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है, स्ट्रेस हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं और हार्ट पर दबाव बढ़ने लगता है। रिसर्च बताती है कि जो लोग रोज़ 6 घंटे से कम सोते...
नेशनल डेस्क : आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में लोग देर रात तक काम करने, मोबाइल चलाने या डेडलाइन पूरी करने के लिए नींद से समझौता कर लेते हैं। शुरुआत में यह आम सी बात लगती है, लेकिन धीरे-धीरे नींद की कमी शरीर के हर हिस्से को नुकसान पहुंचाने लगती है। नींद सिर्फ आराम का समय नहीं, बल्कि शरीर के रिपेयर और ऊर्जा पुनर्निर्माण की प्रक्रिया का अहम हिस्सा है। अगर कोई व्यक्ति रोजाना 7 से 9 घंटे की नींद नहीं लेता, तो इसका असर दिल, दिमाग और मेटाबॉलिज्म पर गहराई से पड़ता है।
दिल पर पड़ता है सबसे ज़्यादा असर
अमेरिकन जर्नल ऑफ लाइफस्टाइल मेडिसिन में प्रकाशित एक रिसर्च बताती है कि जो लोग लगातार कम नींद लेते हैं, उनमें हार्ट डिजीज़, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। नींद की कमी के कारण शरीर हमेशा हल्के तनाव की स्थिति में रहता है। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, हार्ट रेट तेज़ हो जाती है और स्ट्रेस हार्मोन का स्तर भी ऊपर चला जाता है। लंबे समय तक ऐसा बने रहने से दिल की सेहत बिगड़ने लगती है।
मेटाबॉलिज्म और वजन पर भी असर
नींद की कमी का सीधा असर शरीर के मेटाबॉलिज्म पर पड़ता है। रिसर्च के मुताबिक, कम नींद लेने से भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। Leptin (जो भूख को कम करता है) घट जाता है, जबकि Ghrelin (जो भूख बढ़ाता है) बढ़ जाता है। इससे लोगों को ज़्यादा मीठा और कार्बोहाइड्रेट वाला खाना खाने की इच्छा होती है। नतीजा – वजन बढ़ना, मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा। खासतौर पर पुरुषों में छह घंटे से कम नींद लेने पर डायबिटीज का रिस्क अधिक पाया गया है।
मानसिक स्वास्थ्य पर भी भारी पड़ती है नींद की कमी
अगर आपने कभी नींद पूरी न होने के बाद चिड़चिड़ापन महसूस किया है, तो यह सिर्फ मूड की बात नहीं। नींद की कमी से दिमाग में इमोशन कंट्रोल करने वाला हिस्सा ज़्यादा एक्टिव और निर्णय लेने वाला हिस्सा कमज़ोर हो जाता है। इससे तनाव, चिंता और डिप्रेशन बढ़ जाते हैं। नींद की कमी वाले लोग ज़्यादा गुस्सा करते हैं, छोटी बातों में परेशान हो जाते हैं और रिश्तों में भी टकराव महसूस करते हैं।
नींद की गुणवत्ता सुधारने के आसान तरीके
अच्छी बात यह है कि कुछ आदतें अपनाकर नींद की क्वालिटी को बेहतर किया जा सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार युवाओं को रोज़ाना 7–9 घंटे और बुज़ुर्गों को कम से कम 7 घंटे की नींद ज़रूरी है। इसके लिए कुछ सरल उपाय हैं —
- हर दिन एक ही समय पर सोएं और उठें।
- सोने से पहले मोबाइल, टीवी और लैपटॉप से दूरी बनाएं।
- रात में कैफीन या भारी खाना न खाएं।
- कमरे का माहौल ठंडा, अंधेरा और शांत रखें।
- सोने से पहले हल्का मेडिटेशन, पढ़ाई या स्ट्रेचिंग करें।