दिल की धड़कन रुकने के बाद भी बच सकती है जान, जानिए CPR देने का सरल तरीका

Edited By Updated: 02 Jul, 2025 05:16 PM

life can be saved even after the heartbeat stops know cpr

इन दिनों अचानक हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट की घटनाएं बढ़ रही हैं। कोई डांस करते समय गिर पड़ता है, तो कोई वर्कआउट के दौरान बेहोश हो जाता है और फिर उनकी धड़कनें थम जाती हैं। ऐसे मामलों में चंद सेकंड या मिनटों में व्यक्ति की मौत हो सकती है।लेकिन...

नेशनल डेस्क : इन दिनों अचानक हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट की घटनाएं बढ़ रही हैं। कोई डांस करते समय गिर पड़ता है, तो कोई वर्कआउट के दौरान बेहोश हो जाता है और फिर उनकी धड़कनें थम जाती हैं। ऐसे मामलों में चंद सेकंड या मिनटों में व्यक्ति की मौत हो सकती है।

लेकिन अच्छी बात ये है कि अगर समय रहते सही कदम उठाया जाए, तो किसी की जान बचाई जा सकती है। सीपीआर (CPR) यानी Cardio Pulmonary Resuscitation एक ऐसी प्राथमिक चिकित्सा तकनीक है, जिससे धड़कनें दोबारा शुरू कराई जा सकती हैं और व्यक्ति को मौत के मुंह से बाहर लाया जा सकता है।

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क्या है सीपीआर (CPR )?

सीपीआर एक इमरजेंसी प्रक्रिया है, जो दिल और फेफड़ों को दोबारा सक्रिय करने में मदद करती है। इसमें छाती को दबाकर और मुंह से सांस देकर शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाई जाती है। यह तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर देता है या सांसें रुक जाती हैं।

सीपीआर से कैसे लौट सकती हैं सांसें?

विशेषज्ञों के अनुसार, हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट के बाद भी तुरंत मौत नहीं होती। अगर इस स्थिति में 10 मिनट के भीतर CPR दिया जाए, तो 50% से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकती है, वो भी अस्पताल पहुंचने से पहले।

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CPR देने से

  1. दिल में ब्लड फ्लो दोबारा शुरू होता है
  2. ब्रेन और शरीर के अंगों में ऑक्सीजन पहुंचती है
  3. व्यक्ति की सांसें फिर से चल सकती हैं

कब दें CPR? पहचानें संकेत

  1. व्यक्ति बेहोश हो और सांस न ले रहा हो – यह कार्डियक अरेस्ट का साफ संकेत है।
  2. हाथ या गर्दन की नब्ज न महसूस हो – दिल का दौरा पड़ने का संकेत हो सकता है।
  3. शरीर के अंगों में मूवमेंट न हो रहा हो – तुरंत CPR देने की ज़रूरत है।

CPR देने की सरल तरीका

  • सबसे पहले मरीज को तुरंत किसी समतल और कठोर सतह पर पीठ के बल सीधा लिटाएं।
  • अपने एक हाथ को दूसरे हाथ के ऊपर रखें और दोनों हाथों की हथेलियों को मरीज के सीने के बीचोबीच रखें। ध्यान रखें कि आपकी कोहनियां सीधी रहें।
  • अब हाथों पर शरीर का वजन डालते हुए, छाती को तेजी से और मजबूती से दबाएं। एक मिनट में कम से कम 100 दबाव (कंप्रेशन) देने की कोशिश करें।
  • हर 30 बार छाती दबाने के बाद, मरीज को दो बार मुंह से सांस दें। इसे Mouth-to-Mouth Respiration कहा जाता है।
  • छाती को हर बार दबाने के बाद उसे सामान्य स्थिति में लौटने दें ताकि पंपिंग प्रभावी हो।
  • ये प्रक्रिया तब तक दोहराएं जब तक कि मरीज की सांसें वापस न आ जाएं, या मेडिकल इमरजेंसी सेवा वहां न पहुंच जाए।

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