ट्रंप के "Mango" गेम पर भारत का कड़ा जवाब, अमेरिका को दिखाया ठेंगा ! सऊदी को भेज दी सारी "VIP टोकरी"

Edited By Tanuja,Updated: 28 May, 2025 05:05 PM

mango diplomacy message india sends sweet signal to saudi

भारत की ‘आम कूटनीति’ (Mango Diplomacy)  इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय चर्चाओं में है। वजह? भारत ने अपने बेहतरीन आमों की पहली खेप अमेरिका की बजाय सऊदी अरब के शाही परिवार को भेजी...

 

International Desk: भारत की ‘आम कूटनीति’ (Mango Diplomacy)  इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय चर्चाओं में है। वजह? भारत ने अपने बेहतरीन आमों की पहली खेप अमेरिका की बजाय सऊदी अरब के शाही परिवार को भेजी है। वही अमेरिका, जो हर साल भारत से ‘VIP आम’ पाने का अभ्यस्त रहा है – इस बार खाली हाथ है। क्या यह सिर्फ एक संयोग है या फिर इसके पीछे कोई राजनयिक संदेश छिपा है?

 

सऊदी को 'राजसी' आम, अमेरिका को सूखी टोकरी
सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार की ओर से दशहरी, लंगड़ा, केसर और अल्फांसो जैसी बेहतरीन किस्मों के आमों की पहली खेप इस बार सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को भेजी गई है। यह आमों की वह खेप है जो आमतौर पर व्हाइट हाउस को भी भिजवाई जाती थी। इससे पहले भारत की आम कूटनीति के तहत हर साल अमेरिका को एक प्रतीकात्मक "VIP टोकरी" भेजी जाती थी, जिसकी शुरुआत 2007 में डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुई थी। लेकिन इस बार अमेरिका को कुछ नहीं भेजा गया जानबूझकर या गलतीवश?  यह चर्चा का विषय बन गया है।
 


अमेरिका दस्तावेजों  के नाम पर  बिगाड़ा खेल 
दूसरी ओर, जब भारत ने अमेरिका को आम भेजने की व्यावसायिक कोशिश की, तो वहां की कड़ी कस्टम प्रक्रियाओं ने पूरे मिशन को विफल कर दिया। मई 2025 में अमेरिका ने भारत से भेजी गई  15 आमों की खेप को अस्वीकृत कर दिया। वजह थी PPQ203  नामक जरूरी दस्तावेज़ में त्रुटि। इससे भारत को लगभग  ₹4.3 करोड़ का नुकसान हुआ।इन आमों को नवी मुंबई के विकिरण केंद्र में अमेरिकी USDA अधिकारियों की निगरानी में प्रोसेस किया गया था, लेकिन फिर भी दस्तावेजी त्रुटियाँ  पाई गईं। PPQ203 फॉर्म विकिरण की पुष्टि करता है और इसके बिना अमेरिका में आमों का प्रवेश असंभव है। अमेरिकी अधिकारियों ने दो विकल्प दिए: या तो खेप को नष्ट करो या भारत वापस भेजो। अंततः सभी आम अमेरिका में ही नष्ट कर दिए गए *।
 

व्यापार में 'खटास' और रिश्तों में 'तल्खी ' 
विश्लेषकों का मानना है कि सऊदी को आम भेजना और अमेरिका को प्रतीकात्मक आमों से वंचित रखना  भारत की बदलती रणनीतिक प्राथमिकताओं  को दर्शाता है। भारत, जहां सऊदी के साथ तेल, निवेश और इस्लामी दुनिया में कूटनीति  बढ़ा रहा है, वहीं अमेरिका के साथ वीजा, डिजिटल डेटा और पाकिस्तान नीति  को लेकर खटास बनी हुई है। विश्लेषकों के अनुसार  भारत की आम कूटनीति अब सिर्फ मिठास की कहानी नहीं, बल्कि रणनीतिक प्राथमिकताओं और व्यापारिक दक्षता की परीक्षा बन चुकी है। सऊदी के लिए स्वाद और संदेश दोनों थे, जबकि अमेरिका को दस्तावेजों की खट्टी मार झेलनी पड़ी।

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