खरगे का मोदी सरकार पर आरोप, कहा- उन्होंने  गरीबों के पीठ में छुरा घोंपा, MENREGA पर जनांदोलन खड़ा करना होगा

Edited By Updated: 27 Dec, 2025 01:12 PM

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के स्थान पर ‘विकसित भारत-जी राम जी अधिनियम' बनाए जाने को लेकर शनिवार को मोदी सरकार पर ‘गरीबों के पीठ में छुरा घोंपने' का आरोप लगाया और कहा कि इस...

नेशनल डेस्क: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के स्थान पर ‘विकसित भारत-जी राम जी अधिनियम' बनाए जाने को लेकर शनिवार को मोदी सरकार पर ‘गरीबों के पीठ में छुरा घोंपने' का आरोप लगाया और कहा कि इस विषय पर राष्ट्रव्यापी जनांदोलन खड़ा करना होगा। उन्होंने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक को संबोधित करते हुए बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की निंदा की और कहा कि इससे पूरा भारत चिंतित है।

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खरगे ने कांग्रेस नेताओं से आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कमर कसने का आह्वान किया और यह भी कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) लोकतांत्रिक अधिकारों को सीमित करने की एक सोची समझी साजिश है तथा ऐसे में यह सुनिश्चित करना होगा कि कांग्रेस के मतदाताओं के नाम न काटे जाएं खरगे ने बैठक में कहा, ‘‘हम आज ऐसे मौके पर विचार और भविष्य की रणनीति बनाने के लिए एकत्र हुए हैं, जब देश में लोकतंत्र, संविधान और नागरिकों के अधिकारों पर चारों तरफ गंभीर संकट छाया है।'' उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘हाल में संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार ने मनरेगा को समाप्त कर करोड़ों गरीबों और कमजोर तबके के लोगों को बेसहारा कर दिया है। गरीबों के पेट पर लात मारने के साथ उनकी पीठ में मोदी सरकार ने छुरा घोंपा है। मोदी सरकार ने काम के अधिकार पर सुनियोजित और क्रूर हमला किया है।''

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खरगे ने कहा कि मोदी सरकार को गरीबों की चिंता नहीं, बल्कि चंद बड़े पूंजीपतियों के मुनाफ़े की ही चिंता है। उनका कहना था कि मनरेगा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार का ऐसा दूरदर्शी कदम था, जिसे पूरे विश्व ने सराहा। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘इस योजना ने ग्रामीण भारत का चेहरा बदला। यह विश्व का सबसे बड़ा ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम बना। इससे पलायन रुका, गांवों को अकाल, भूख, और शोषण से मुक्ति मिली। इस योजना ने दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और भूमिहीन मज़दूरों को भरोसा दिया कि गरीबी से जंग में सरकार उनके साथ खड़ी है।'' खरगे ने दावा किया कि मोदी सरकार ने बिना किसी अध्ययन या मूल्यांकन के, राज्यों से या राजनीतिक दलों से सलाह-मशविरा के बिना इसे खत्म करके नया कानून थोप दिया। उन्होंने कहा कि यह सारा काम तीन काले कृषि कानूनों जैसा किया गया। 

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