मोदी सरकार का अल्पसंख्यकों के विकास पर जोर, 11 सालों में किए कई बड़े बदलाव

Edited By Mansa Devi,Updated: 23 Jun, 2025 05:28 PM

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मोदी सरकार ने अल्पसंख्यकों के समग्र विकास के लिए शिक्षा, आर्थिक सहायता, रोजगार, विरासत संरक्षण और धार्मिक यात्राओं को सुगम बनाने की दिशा में बड़ी पहल की है। आंकड़े और योजनाएं बताते हैं कि सरकार का फोकस केवल नीतियों पर नहीं, बल्कि उनके प्रभावी...

नेशनल डेस्क: मोदी सरकार ने अपने 11 साल के कार्यकाल में अल्पसंख्यक समुदायों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कई ठोस पहलें की हैं। मुस्लिम, ईसाई, सिख, पारसी, बौद्ध और जैन जैसे अधिसूचित समुदायों को केंद्र में रखते हुए विकास योजनाएं लागू की गईं।

आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा निवेश
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम के तहत अब तक 1.74 लाख से अधिक लाभार्थियों को 752 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है। वर्ष 2014-15 में यह आंकड़ा 431 करोड़ रुपये था। पारसी समुदाय के लिए "जियो पारसी योजना" के तहत 3 करोड़ रुपये की सहायता जारी कर 400 से अधिक बच्चों के जन्म को समर्थन दिया गया।

18,000 करोड़ की विकास परियोजनाएं
प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत बीते दस वर्षों में 18,416 करोड़ रुपये की परियोजनाएं मंजूर की गईं। सरकार ने पांच योजनाओं को मिलाकर 'पीएम विकास' योजना शुरू की जिससे युवाओं को रोजगार, कौशल और लीडरशिप में बढ़ावा मिला।

वक्फ संपत्तियों का डिजिटल प्रबंधन
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता के लिए सरकार ने 2025 में वक्फ संशोधन अधिनियम पेश किया। साथ ही 'उम्मीद' नामक पोर्टल लॉन्च किया गया, जिससे वक्फ संपत्तियों का रियल टाइम डाटा अपलोड, सत्यापन और निगरानी की जा सकेगी।

शिक्षा और छात्रवृत्ति में सुधार
सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों के लिए मौलाना आजाद फेलोशिप और 'पढ़ो परदेश' योजना शुरू की। साथ ही, 'बेगम हजरत महल छात्रवृत्ति योजना' के जरिए 9वीं से 12वीं तक की छात्राओं को सहयोग दिया गया। 'नया सवेरा' योजना के तहत प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निशुल्क कोचिंग भी प्रदान की गई।

हज यात्रा को बनाया आसान और डिजिटल
हज यात्रियों की सुविधा के लिए मंत्रालय ने हज ऐप और हज वॉकथॉन जैसी पहलें शुरू कीं। 2023-24 में हज यात्रा पर 83 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जो कि 2014-15 की तुलना में लगभग दोगुना है।

पारंपरिक विरासत और संस्कृति का संरक्षण
सिखों के लिए गुरुमुखी लिपि केंद्र, पारसियों के लिए अवेस्ता परियोजना, बौद्ध विकास योजना और जैन समुदाय के लिए अध्ययन केंद्र जैसे कई सांस्कृतिक संरक्षण प्रोजेक्ट भी शुरू किए गए। इन परियोजनाओं पर कुल मिलाकर 65 करोड़ रुपये तक की लागत आंकी गई है।

 

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