Edited By Pardeep,Updated: 31 Dec, 2025 11:06 PM

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को ‘प्रगति' की 50वीं बैठक में सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के मंत्र पर जोर दिया। ‘प्रगति' ने पिछले एक दशक में 85 लाख करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं को गति प्रदान की है। बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री...
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को ‘प्रगति' की 50वीं बैठक में सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के मंत्र पर जोर दिया। ‘प्रगति' ने पिछले एक दशक में 85 लाख करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं को गति प्रदान की है। बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री ने परियोजना जीवन-चक्र के प्रत्येक चरण में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नागरिकों के लिए त्वरित क्रियान्वयन, उच्च गुणवत्ता और बेहतर परिणामों को सुनिश्चित करने के लिए आने वाले वर्षों में सक्रिय शासन और समयबद्ध कार्यान्वयन (प्रगति) मंच को और मजबूत किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सुधारों की गति को बनाये रखने और कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए ‘प्रगति' आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ‘प्रगति' मंच का इस्तेमाल करके राष्ट्रीय हित में लंबे समय से लंबित परियोजनाओं को पूरा किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘प्रगति' सहकारी संघवाद का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री ने सड़क, रेलवे, बिजली, जल संसाधन और कोयला समेत विभिन्न क्षेत्रों की पांच महत्वपूर्ण अवसंरचना परियोजनाओं की समीक्षा की। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘‘ये परियोजनाएं पांच राज्यों में फैली हुई हैं, जिनकी कुल लागत 40,000 करोड़ रुपये से अधिक है।''
इसमें कहा गया है कि ‘पीएम श्री योजना' की समीक्षा के दौरान, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह पहल समग्र और भविष्य के लिए तैयार स्कूली शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय मानदंड बननी चाहिए, जिसमें बुनियादी ढांचे पर केंद्रित होने के बजाय परिणाम-उन्मुख कार्यान्वयन हो। उन्होंने सभी मुख्य सचिवों को ‘पीएम श्री योजना' पर कड़ी निगरानी रखने का भी निर्देश दिया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि ‘पीएम श्री' स्कूलों को राज्य सरकारों के अन्य स्कूलों के लिए मानक बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए। मोदी ने कहा कि सुधारों की गति को बनाए रखने और उनके परिणाम सुनिश्चित करने के लिए ‘प्रगति' आवश्यक है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने अगले चरण के लिए स्पष्ट अपेक्षाएं साझा कीं और सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के अपने दृष्टिकोण की रूपरेखा प्रस्तुत की।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘सुधार का उद्देश्य सरलता लाना, प्रदर्शन का उद्देश्य परिणाम देना और परिवर्तन का उद्देश्य प्रभाव डालना है।'' मोदी ने कहा कि प्रदर्शन का अर्थ समय, लागत और गुणवत्ता पर समान रूप से ध्यान केंद्रित करना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘प्रगति' के माध्यम से परिणाम-उन्मुख शासन को मजबूती मिली है और अब इसे और भी गहराई तक ले जाना होगा। उन्होंने कहा कि ‘प्रगति' मंच का उपयोग करके राष्ट्रीय हित में लंबे समय से लंबित परियोजनाओं को पूरा किया गया है। मोदी ने ‘प्रगति' की 50वीं बैठक में इस उपलब्धि को पिछले एक दशक में भारत की शासन संस्कृति में आए गहरे परिवर्तन का प्रतीक बताया। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के लिए पर्याप्त संसाधन सुनिश्चित किए हैं और सभी क्षेत्रों में निरंतर निवेश किया है।