अब नहीं थम रही बारिश! 2025 का मानसून बना मुसीबत की वजह; IMD ने बताया क्यों हो रही है इतनी तबाही

Edited By Updated: 05 Sep, 2025 02:47 PM

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साल 2025 का मानसून भारत के लिए भारी तबाही लेकर आया है। 1 जून से 2 सितंबर तक बारिश सामान्य से 8% अधिक हुई, खासकर अगस्त में दिल्ली-उत्तर भारत में रिकॉर्ड बारिश हुई। पंजाब, बिहार में बाढ़ और हिमाचल, उत्तराखंड में भूस्खलन हुआ। IMD ने मानसून ट्रफ के कारण...

नेशनल डेस्क: साल 2025 का मानसून भारत के लिए राहत से ज्यादा आफत बनकर आया है। जून से सितंबर तक बारिश का जो सिलसिला चला उसने देश के कई हिस्सों को बुरी तरह प्रभावित किया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने हाल ही में चेतावनी दी है कि मानसून अभी थमा नहीं है और आने वाले दिनों में और ज्यादा बारिश हो सकती है। 1 जून से 2 सितंबर 2025 तक पूरे भारत में औसतन 780.8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। यह सामान्य 721.1 मिमी बारिश से लगभग 8% ज्यादा है। खास बात यह रही कि अगस्त 2025 का महीना ऐतिहासिक रहा। दिल्ली और उत्तर भारत में 1901 के बाद यह 13वां सबसे अधिक बारिश वाला अगस्त रहा। राजधानी दिल्ली ने तो एक दशक का रिकॉर्ड ही तोड़ दिया।

इन राज्यों में बाढ़ जैसी स्थिति

लगातार हो रही भारी बारिश ने देश के कई राज्यों में भारी तबाही मचा दी है। पंजाब और बिहार जैसे राज्यों के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घरों और खेतों में घुस गया है, जिससे लोगों का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। वहीं हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में भूस्खलन की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, जिससे सड़कों पर अवरोध उत्पन्न हो गया है और दुर्घटनाओं की आशंका भी बढ़ गई है। राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में भी हालात गंभीर बने हुए हैं, जहां सड़कों पर जलभराव और ट्रैफिक जाम की समस्या आम हो गई है, जिससे लोगों को रोजाना आने-जाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

IMD ने बताया: क्यों हो रही है इतनी बारिश?

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, इस साल की अत्यधिक बारिश का मुख्य कारण 'मानसून ट्रफ' (Monsoon Trough) को माना जा रहा है। यह ट्रफ अपनी सामान्य स्थिति से दक्षिण की ओर खिसक गई है और समुद्र तल से लेकर निचले ट्रोपोस्फेरिक स्तर तक फैली हुई है, जिससे वातावरण में नमी बनी रहती है और व्यापक स्तर पर वर्षा होती है। इसके अलावा एक और ट्रफ रेखा उत्तर-पूर्व अरब सागर से उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी तक सक्रिय है। इन दोनों ट्रफ रेखाओं की वजह से देशभर में बारिश का पैटर्न सामान्य से अलग हो गया है, जिससे कई इलाकों में लगातार भारी बारिश देखने को मिल रही है।

किन राज्यों के लिए IMD ने जारी किया अलर्ट?

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने आने वाले दिनों में देश के कई हिस्सों में भारी से अति भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। पश्चिम भारत में गुजरात में 4 से 6 सितंबर तक बारिश की संभावना है, जबकि सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में 6 और 7 सितंबर को बहुत भारी बारिश हो सकती है। कोकण और गोवा तथा मध्य महाराष्ट्र में भी 4 से 6 सितंबर के बीच अच्छी बारिश होने की संभावना है। मध्य भारत की बात करें तो मध्यप्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में 4 से 6 सितंबर तक भारी बारिश का अनुमान है। उत्तर भारत के राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और उत्तर प्रदेश में 4 से 10 सितंबर तक लगातार बारिश हो सकती है। पूर्वोत्तर भारत के राज्य असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश भी 4 से 10 सितंबर के बीच भारी वर्षा की चपेट में रहेंगे। दक्षिण भारत में केरल, माहे और तमिलनाडु में 4 सितंबर तथा 8 और 9 सितंबर को भारी बारिश होने की संभावना जताई गई है। इसके अलावा कई राज्यों में गरज-चमक के साथ बिजली गिरने की आशंका भी व्यक्त की गई है, जिससे लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

किसानों को मिला फायदा पर बढ़ी परेशानियां भी

 

मानसून की तेज बारिश ने किसानों के लिए कुछ फसलों जैसे धान, गन्ना और कपास को फायदा पहुंचाया है, जिससे उनकी पैदावार में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन वहीं कई जगहों पर भारी बारिश के कारण फसलें बर्बाद भी हो गई हैं। कुछ इलाकों में खेतों में पानी भर जाने से फसलें डूब गई हैं, जबकि कीचड़ और बहते पानी के कारण बीज भी नष्ट हो गए हैं। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार बारिश से सड़कें टूट गई हैं और कई घरों को भी नुकसान पहुंचा है, जिससे स्थानीय लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

 

आने वाले दिन चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं

भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, इस समय मानसून शांत होने की बजाय और भी सक्रिय हो रहा है, इसलिए आने वाले दिनों में बारिश का दौर और तेज होने की संभावना बनी हुई है। इस स्थिति में लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। जो लोग नदियों के किनारे बसे इलाकों में रहते हैं, उन्हें सतर्क रहना चाहिए क्योंकि बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही, पहाड़ी इलाकों में यात्रा करने वालों को मौसम की पूरी जानकारी लेकर ही निकलना चाहिए ताकि भूस्खलन या अन्य प्राकृतिक आपदाओं से बचा जा सके। इसके अलावा, जब बिजली गिरने का खतरा हो तो खुले मैदान या ऊंचे स्थानों पर जाने से बचना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार के हादसे से बचा जा सके।

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