पांच राज्यों के चुनाव के बाद 10 से 15 रुपये प्रति लीटर फिर बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम

Edited By Updated: 20 Jan, 2022 11:13 AM

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हाल ही कच्चे तेल की कीमतों में हई बढ़ोतरी इस बात के संकेत दे रही है कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती है।

नेशनल डैस्क: हाल ही कच्चे तेल की कीमतों में हई बढ़ोतरी इस बात के संकेत दे रही है कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती है। यह यह अनुमान कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित होने और मांग बढ़ने से लगाया जा रहा है। ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम पांच राज्यों में चुनाव के बाद 10 से 15 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ोतरी हो सकती है। चुनाव के कारण ही कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बावजूद बीते 70 दिनों से घरेलू बाजार में ईंधन के दाम स्थिर हैं।


चुनावी मौसम में की गई है तेल की कीमतों में कटौती
बीते साल  4 नवंबर से पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की गई और डीजल पर 21.80 रुपए प्रति लीटर घटा दिया गया। इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट आई है। जिस दिन पेट्रोल और डीजल पर कम उत्पाद शुल्क लागू हुआ है, स्पष्ट रूप से बाजार का तर्क सुविधाजनक है। बीते साल अक्टूबर में कच्चे तेल की भारतीय बास्केट की औसत कीमत 82.1 डॉलर प्रति बैरल और नवंबर में 80.6 डॉलर प्रति बैरल थी। 4 जनवरी को यह 77.9 डॉलर प्रति बैरल पर था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की अलग-अलग कीमत के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमत स्थिर बनी हुई है। इस समय कच्चा तेल बढ़कर 87 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है, जो 7 साल का उच्चतम स्तर है। नवंबर माह से पहले कोविड -19 महामारी के बाद केंद्र सरकार ने अन्य करों के नुकसान की भरपाई के लिए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि की थी। पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 13 मार्च 2020 तक 19.98 रुपए प्रति लीटर था जिसे बढ़ाकर केंद्र सरकार ने 32.90 रुपए प्रति लीटर कर दिया था।

राजनीतिक कारणों से नहीं बढ़े हैं तेल के दाम
इंडिया इंफोलाइन के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी और करेंसी) अनुज गुप्ता ने एक मीडिया साक्षात्कार में कहा है कि कच्चे तेल की कीमतों में बीते दो महीने से लगातार वृद्धि हो रही है। नवंबर में 70 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर कच्चा तेल जनवरी, 2022 में 85 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है। वहीं घरेलू बाजार में बीते 70 दिनों से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। कीमतों में यह बढ़ोतरी राजनीतिक कारणों से नहीं हुई है लेकिन मार्च में पांच राज्यों के चुनाव के बाद बड़ी बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है। अनुज गुप्ता ने कहा है कि एक अनुमान के मुताबिक भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमत में 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो सकती है।

कच्चे तेल में बड़ा उछाल मार्च तक
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया ने मीडिया रिपोर्ट में यह भी बताया है कि कि कच्चे तेल में बड़ा उछाल फरवरी से मार्च तक आएगा। ऐसा इसलिए होगा कि कोविड-19 के चलते वैश्विक तेल भंडार अपनी ऐतिहासिक ऊंचाई से निचले स्तर पर पहुंच गया है। वहीं ओमिक्रॉन संकट का असर मामूली होने से जल्द ही इस साल तेल की मांग नई रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंचने के अनुमान है, जबकि उत्पादन उस अनुपात में नहीं बढ़ रहा है। कोरोना संकट के कारण प्रमुख तेल उत्पादक देशों का संगठन ओपेक 400,000 बैरल प्रतिदिन उत्पादन बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है। वहीं, रूस समेत दूसरे तेल उत्पादक देश उत्पादन नहीं बढ़ा रहे हैं। इतना ही नहीं कजाकिस्तान में बढ़ती अशांति और लीबिया में आपूर्ति ठप होने से आपूर्ति प्रभावित हुई हैं। ये सारे कारण कच्चे तेल की कीमतों में और वृद्धि करेंगे।

जरूरी सामान की भी बढ़ेंगी कीमतें
कच्चे तेल की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी से न सिर्फ ईंधन के दाम बढ़ेंगे बल्कि वैश्विक अर्थव्यस्था को भी चपट लगेगी। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कोरोना के बाद पूरी दुनिया बढ़ती महंगाई से परेशान है। कच्चे तेल की आग महंगाई को और भड़काने का काम करेगी। यानी दुनिया में जरूरी सामानों के दाम और बढ़ेंगे। यह आम आदमी की बचत और खर्च पर असर डालेगी। इससे न सिर्फ आम आदमी पर बोझ बढ़ेगा बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी धीमी होगी। यह आर्थिक मंदी लाने का सबब बन सकती है। 

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