Edited By Rohini Oberoi,Updated: 01 Jul, 2025 05:19 PM
महाराष्ट्र के नवी मुंबई से एक बेहद हैरान कर देने वाला और दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहाँ एक 55 वर्षीय शख्स ने गहरे डिप्रेशन के चलते खुद को पिछले तीन साल से अपने कमरे में बंद कर रखा था। जानकारी के मुताबिक यह व्यक्ति पहले एक कंप्यूटर...
नेशनल डेस्क। महाराष्ट्र के नवी मुंबई से एक बेहद हैरान कर देने वाला और दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहाँ एक 55 वर्षीय शख्स ने गहरे डिप्रेशन के चलते खुद को पिछले तीन साल से अपने कमरे में बंद कर रखा था। जानकारी के मुताबिक यह व्यक्ति पहले एक कंप्यूटर प्रोग्रामर के तौर पर काम करता था लेकिन पारिवारिक त्रासदियों ने उसे इस कदर तोड़ दिया कि वह बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट गया।
अकेलापन और त्रासदियाँ बनीं वजह
जुईनगर सेक्टर 24 की घरकुल सोसाइटी में रहने वाले 55 वर्षीय अनूप कुमार नायर की ज़िंदगी में आए लगातार हादसों ने उन्हें इस भयानक स्थिति में पहुँचा दिया। कुछ साल पहले उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी और उससे भी तक़रीबन 20 साल पहले उनके बड़े भाई ने आत्महत्या कर ली थी। इन घटनाओं ने उनकी मानसिक स्थिति पर गहरा असर डाला। अवसाद अकेलापन और इन त्रासदियों के चलते वे बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग हो गए।
ऑनलाइन खाने पर गुज़ारा, गंदगी से भरा था फ्लैट
अनूप कुमार नायर का जीवन इतना सीमित हो गया था कि वे केवल ऑनलाइन खाना ऑर्डर करके गुज़ारा करते थे। उनके फ्लैट में कोई फर्नीचर नहीं था और पूरा घर बेहद गंदा था। जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए थे जिससे उनकी बिगड़ती मानसिक और शारीरिक स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
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नायर के फ्लैट की दयनीय स्थिति की जानकारी एक स्थानीय युवक को मिली जिसने तुरंत 'सील' संगठन से संपर्क किया और पूरे मामले की जानकारी दी। इसके बाद 'सील' संगठन के कार्यकर्ता उनके फ्लैट पर पहुँचे तो उन्होंने नायर को गंभीर हालत में देखा। उनके पैर में गंभीर संक्रमण था जिसका तुरंत इलाज शुरू किया गया।
स्थानीय लोगों ने भी की मदद
सोसायटी के अध्यक्ष विजय शिबे ने बताया कि नायर बहुत कम ही अपना दरवाज़ा खोलते थे और कचरा भी बाहर नहीं निकालते थे। सोसायटी के लोग और स्थानीय निवासी समय-समय पर उनकी मदद करते थे जिसमें आर्थिक सहायता भी शामिल थी। शिबे ने कहा, हमने भी कई बार उनकी मदद की थी।
फिलहाल अनूप कुमार नायर को पनवेल के 'सील आश्रम' में रखा गया है जहाँ उनका इलाज चल रहा है। संस्था के मुताबिक उनके स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव देखे जा रहे हैं। नायर ने खुद स्वीकार किया है कि माता-पिता और भाई को खोने के बाद आए अकेलेपन और स्वास्थ्य समस्याओं ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर दिया था। 'सील' संस्था के प्रयासों से न केवल उनकी शारीरिक स्थिति में सुधार हो रहा है बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी स्थिर करने की कोशिश की जा रही है। यह मामला दिखाता है कि कैसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ किसी व्यक्ति को पूरी तरह से अलग-थलग कर सकती हैं और समय पर मदद कितनी ज़रूरी है।