अब चीन की नहीं चलेगी चालाकी, भारत का ‘Operation CCTV’ करेगा पर्दाफाश

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 29 May, 2025 09:51 AM

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भारत इस समय अपने आसपास के सामरिक हालात को देखते हुए पूरी तरह सतर्क है। एक तरफ जहाँ उसने पाकिस्तान को सैन्य मोर्चे पर अपने तेवर दिखाए हैं वहीं अब उसकी निगाह शातिर दुश्मन चीन पर है। चीन से निपटने के लिए भारत अब एयर स्ट्राइक नहीं बल्कि 'डिजिटल...

नेशनल डेस्क। भारत इस समय अपने आसपास के सामरिक हालात को देखते हुए पूरी तरह सतर्क है। एक तरफ जहाँ उसने पाकिस्तान को सैन्य मोर्चे पर अपने तेवर दिखाए हैं वहीं अब उसकी निगाह शातिर दुश्मन चीन पर है। चीन से निपटने के लिए भारत अब एयर स्ट्राइक नहीं बल्कि 'डिजिटल स्ट्राइक' का सहारा ले रहा है। सरकार ने निगरानी उद्योग विशेषकर सीसीटीवी कैमरों से जुड़ी सुरक्षा नीति में बड़े बदलाव किए हैं।

अप्रैल 2025 से लागू होगी नई सुरक्षा नीति

सरकार ने अप्रैल 2025 तक एक नई सुरक्षा नीति लागू करने का फैसला किया है। इस नीति के तहत इंटरनेट से जुड़े सभी सीसीटीवी कैमरों को भारतीय सरकारी प्रयोगशालाओं में सुरक्षा परीक्षण से गुजरना अनिवार्य होगा। इस कदम का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है खासकर चीन से आने वाले संभावित खतरों को देखते हुए। हालांकि भारत के इस कदम से भारतीय और विदेशी कंपनियों के बीच सप्लाई चेन में कुछ शुरुआती दिक्कतें पैदा हुई हैं।

चीन से जुड़े उपकरणों पर बढ़ी निगरानी

भारत सरकार की यह नीति विशेष रूप से चीनी कंपनियों जैसे Hikvision, Dahua और Xiaomi पर केंद्रित है। इन कंपनियों के उपकरणों में सुरक्षा खामियों की आशंका जताई गई है जिससे संवेदनशील डेटा की चोरी या विदेशी नियंत्रण की संभावना बढ़ जाती है। इससे पहले भी भारत की कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-In) ने इन कंपनियों के उपकरणों में सुरक्षा संबंधी कमियाँ उजागर की थीं।

 

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भारत के साइबर सिक्योरिटी चीफ रह चुके गुलशन राय ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि जासूसी का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। इंटरनेट से जुड़े सीसीटीवी को कोई भी कहीं से भी ऑपरेट कर सकता है। उन्होंने जोर दिया कि ऐसे उपकरणों को सुरक्षित करना बेहद जरूरी है। हालांकि भारत ने सीधे चीन का नाम लिए बिना ही कहा है कि देश में निगरानी और साइबर सुरक्षा की गुणवत्ता बढ़ाए जाने की जरूरत है।

घरेलू निर्माताओं को मिलेगा बढ़ावा

सरकार की नई नीति के तहत कंपनियों को अपने उत्पादों के हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और स्रोत कोड को सरकारी प्रयोगशालाओं में परीक्षण के लिए प्रस्तुत करना आवश्यक है। परीक्षण सुविधाओं की कमी, फैक्ट्री निरीक्षणों में देरी और स्रोत कोड की गहन जांच जैसी चुनौतियाँ सामने आई हैं।

इस नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि यह भारतीय निर्माताओं को बढ़ावा दे रही है। जो कंपनियाँ केंद्रीय मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला से साइबर सुरक्षा प्रमाण पत्र प्राप्त करती हैं उन्हें सरकारी अनुबंधों में प्राथमिकता मिल सकती है। इसके अलावा 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत सरकार घरेलू उत्पादों की खरीद को भी प्राथमिकता दे रही है।

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