भारत में केवल 19% महिलाएं उच्च पदों पर, Career और Family के बीच संतुलन सबसे बड़ी चुनौती

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 30 Jan, 2025 09:37 AM

only 19 women hold high positions in india

भारत में महिलाओं के लिए ऊंचे पदों तक पहुंचना अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। एक ताजा अध्ययन के अनुसार देश में केवल 19% महिलाएं सीईओ जैसे उच्च पदों पर काम कर रही हैं जो कि वैश्विक औसत 30% से काफी कम है। यह अध्ययन कंसल्टिंग फर्म अवतार द्वारा किया गया...

नेशनल डेस्क। भारत में महिलाओं के लिए ऊंचे पदों तक पहुंचना अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। एक ताजा अध्ययन के अनुसार देश में केवल 19% महिलाएं सीईओ जैसे उच्च पदों पर काम कर रही हैं जो कि वैश्विक औसत 30% से काफी कम है। यह अध्ययन कंसल्टिंग फर्म अवतार द्वारा किया गया जिसमें कार्यस्थल पर महिलाओं की स्थिति और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को समझने की कोशिश की गई।

महिलाओं के करियर में सबसे बड़ी बाधा: वर्क-लाइफ बैलेंस

अध्ययन के अनुसार 60% उत्तरदाताओं का मानना है कि काम और निजी जीवन में संतुलन न बना पाने की वजह से महिलाओं को करियर में आगे बढ़ने में दिक्कतें होती हैं। पारिवारिक जिम्मेदारियों और कार्यस्थल के दबाव के कारण कई महिलाएं उच्च पदों तक नहीं पहुंच पातीं।

इसके अलावा महिलाओं के उच्च पद पर पहुंचने के बाद नौकरी छोड़ने की दर भी चिंता का विषय है। खासकर कोविड महामारी के दौरान यह दर तेजी से बढ़ी।

 

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➤ 2019 में नौकरी छोड़ने की दर 4% थी जो 2020 में बढ़कर 10% हो गई।
➤ 2023 में यह 9% तक आई और 2024 में 8% तक गिरने से मामूली सुधार देखा गया।

क्या योग्य महिला उम्मीदवारों की भी कमी है?

➤ अध्ययन में शामिल 41% लोगों का मानना है कि उच्च पदों के लिए योग्य महिला उम्मीदवारों की कमी भी एक बड़ी समस्या है।
➤ इसके अलावा 44% लोगों का मानना है कि कार्यस्थल पर नियुक्ति और पदोन्नति में लैंगिक भेदभाव अब भी एक बड़ी बाधा बना हुआ है।

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एआई से लैंगिक भेदभाव कम होने की उम्मीद

कई उत्तरदाताओं का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग भर्ती प्रक्रिया में लैंगिक भेदभाव को कम करने में मदद कर सकता है। इससे महिलाओं को समान अवसर मिलने की संभावना बढ़ सकती है।

वहीं महिलाओं के लिए उच्च पदों तक पहुंचने का रास्ता अभी भी मुश्किल है। वर्क-लाइफ बैलेंस, लैंगिक भेदभाव और योग्य उम्मीदवारों की कमी इस समस्या के मुख्य कारण हैं। हालांकि तकनीक और नीतियों में सुधार से आने वाले समय में इस स्थिति में बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।

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