दीवाली पर उल्लूओं पर मंडराया खतरा, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने रद्द कीं फील्ड स्टाफ की छुट्टियां

Edited By Updated: 13 Nov, 2020 10:11 AM

owls hover over diwali

दीवाली के पर्व से पहले उत्तराखंड वन विभाग ने रेड अलर्ट जारी करते हुए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) ने सभी फील्ड स्टाफ की छुट्टियां कैंसल कर दी हैं। वन विभाग ने यह कदम उल्लू (Owls) की सुरक्षा को लेकर उठाया है। दरअसल दीवाली के दौरान काला जादू करने वाले...

नेशनल डेस्क: दीवाली के पर्व से पहले उत्तराखंड वन विभाग ने रेड अलर्ट जारी करते हुए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) ने सभी फील्ड स्टाफ की छुट्टियां कैंसल कर दी हैं। वन विभाग ने यह कदम उल्लू (Owls) की सुरक्षा को लेकर उठाया है। दरअसल दीवाली के दौरान काला जादू करने वाले तांत्रिक अवैध तरीके से उल्लू का शिकार करते हैं, ऐसे में इस खतरे को देखते हुए फील्ड स्टाफ की छुट्टियां रद्द की गई हैं।

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टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक टाइगर रिजर्व ने 15 नवंबर तक सभी फील्ड स्टाफ की छुट्टियां कैंसल की हैं। इसके साथ ही रिजर्व की पेट्रोलिंग भी बढ़ा दी गई है। खासकर रात के समय पेट्रोलिंग पर खास ध्यान रखा जा है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर राहुल ने बताया कि दिवाली के मौके पर तांत्रिक कुछ प्रक्रियाओं के लिए उल्लू का शिकार करते हैं। इसलिए इन पक्षियों को बचाने के लिए हमने पेट्रोलिंग को बढ़ाने का फैसला किया है।

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मां लक्ष्मी का वाहन है उल्लू
हिंदू मान्यताओं में उल्लू को सुख-समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी का वाहन कहा गया है। ऐसे में कुछ तांत्रिकों द्वारा लक्ष्मी माता को खुश करने के लिए उल्लू की बलि देने जैसी परंपरा है। उल्लू का शिकार कई लोग उसकी हड्डियों, पंख, खून, मांस आदि के लिए भी करते हैं। 

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एक साल में 17 हजार उल्लूओं का शिकार 
दुनिया भर में उल्लू की कई प्रजातियां खतरे में हैं। भारत में ही 30 से अधिक उल्लू की प्रजाति पाई जाती है। भारत में उल्लू का शिकार भी गैरकानूनी है। पुणे के इला फाउंडेशन से जुड़े और पक्षीविज्ञानी सतीश पांडे ने पिछले साल नवंबर में वर्ल्ड आउल कॉन्फ्रेंस में ये अनुमान जताया था कि देश भर में उल्लुओं के शिकार की संख्या एक साल में 17 हजार से अधिक हो सकती है। वहीं माना जाता है कि वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) ने उत्तराखंड की पहचान कुछ उन जगहों में की है जहां उल्लू का गैरकानूनी व्यापार बड़े स्तर पर होता है। हालांकि, इसे लेकर कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है कि यहां हर साल कितने उल्लूओं का शिकार होता है।

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