Edited By Rohini Oberoi,Updated: 15 Jul, 2025 09:11 AM

पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले को लेकर भारत ने पहले ही दुनिया को पाकिस्तान की संलिप्तता के सबूत दिए थे। अब एक खुफिया रिपोर्ट ने भारत के दावों पर मुहर लगा दी है जिससे साफ होता है कि पहलगाम अटैक का आदेश सीधे पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य आकाओं ने...
नेशनल डेस्क। पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले को लेकर भारत ने पहले ही दुनिया को पाकिस्तान की संलिप्तता के सबूत दिए थे। अब एक खुफिया रिपोर्ट ने भारत के दावों पर मुहर लगा दी है जिससे साफ होता है कि पहलगाम अटैक का आदेश सीधे पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य आकाओं ने दिया था। यह हमला 22 अप्रैल को हुआ था जिसमें 26 पर्यटकों की धर्म पूछकर हत्या कर दी गई थी। इस बर्बर हमले की साजिश पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा ने मिलकर रची थी।
मुंबई अटैक की तरह ही 'प्रोजेक्ट' किया गया था पहलगाम हमला
खबर के मुताबिक पहलगाम अटैक को मुंबई अटैक की तरह ही 'प्रोजेक्ट' किया गया था। सूत्रों ने इसे लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआई का संयुक्त प्रोजेक्ट बताया। इसमें आईएसआई ने पाकिस्तान स्थित लश्कर कमांडर साजिद जट्ट को जम्मू-कश्मीर में केवल विदेशी आतंकवादियों को तैनात करने के निर्देश दिए थे ताकि गोपनीयता बनी रहे और किसी भी कश्मीरी आतंकवादी को इसमें शामिल न किया जाए।

आतंकी सुलेमान ने किया था हमले का नेतृत्व
पहलगाम अटैक का नेतृत्व आतंकी सुलेमान ने किया था जिसे एक संदिग्ध पाकिस्तानी स्पेशल फोर्स कमांडो माना जा रहा है। उसने साल 2022 में नियंत्रण रेखा (LoC) पार करके जम्मू क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले पाकिस्तान के पंजाब स्थित लश्कर-ए-तैयबा के मुरीदके आतंकी कैंप में ट्रेनिंग ली थी। इस हमले में दो अन्य पाकिस्तानी भी शामिल थे जिनकी पहचान अभी उजागर नहीं हुई है।
सैटेलाइट फोन एनालिसिस से पता चला है कि 15 अप्रैल को आतंकी सुलेमान का ठिकाना त्राल के जंगल में था जिससे संकेत मिलता है कि वह घटना से लगभग एक हफ्ते पहले बैसरन स्थित हमले स्थल के आसपास ही था। सुलेमान अप्रैल 2023 में पुंछ में सेना के एक ट्रक पर हुए हमले में भी शामिल था जिसमें पांच सैनिक मारे गए थे। हालांकि वह अगले दो साल तक अंडरग्राउंड रहा था।

पुलिस जांच और स्थानीय सहयोगियों की भूमिका
जम्मू-कश्मीर पुलिस को पहले पाकिस्तानी आतंकवादियों हाशिम मूसा और अली भाई की भूमिका पर संदेह था लेकिन अब तक की जांच में केवल सुलेमान की भूमिका की ही पुष्टि हुई है। स्थानीय आतंकवादी आदिल हुसैन थोकर की भी इसमें सहयोगी के रूप में भूमिका की कोई पुष्टि नहीं हुई है।
पिछले महीने एनआईए (NIA) की ओर से गिरफ्तार किए गए दो स्थानीय लोगों पहलगाम निवासी परवेज अहमद जोथर और बशीर अहमद जोथर के बारे में भी माना जाता है कि उनकी भूमिका सीमित थी। उन्होंने कुछ हज़ार रुपयों के बदले पाकिस्तानी आतंकवादियों को खाना, आश्रय और अन्य रसद मुहैया कराई थी। हालांकि उन्होंने बैसरन में पर्यटकों पर हमला करने की आतंकवादियों की योजना के बारे में किसी जानकारी से इनकार किया है।
फिलहाल घाटी में लगभग 68 विदेशी आतंकवादी और तीन स्थानीय आतंकवादी सक्रिय हैं जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं।