सिर्फ 150 रुपए तनख्वाह पाने वाले प्रेम है आज 30 करोड़ के मालिक! जानिए कैसे?

Edited By Updated: 25 Jan, 2016 11:43 AM

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अगर हम जिंदगी में कुछ भी कर गुजरने की ताकत रखते है तो हमारे जीवन में कोई भी चीज असंभव नहीं है। ऐसा ही प्रेम गणपति ने कर दिखाया है। मात्र 150 रुपए की तनख्वाह पाने वाले प्रेम आज 30 करोड़ के बिजनेस के मालिक

नई दिल्ली: अगर हम जिंदगी में कुछ भी कर गुजरने की ताकत रखते है तो हमारे जीवन में कोई भी चीज असंभव नहीं है। ऐसा ही प्रेम गणपति ने कर दिखाया है। मात्र 150 रुपए की तनख्वाह पाने वाले प्रेम आज 30 करोड़ के बिजनेस के मालिक है। 

 

प्रेम गणपति ने 17 साल की उम्र में ही तमिलनाडू के अपने घर को छोड़ दिया था। उन्होंने जिंदगी की लगभग हर कठिनाई का सामना किया और आज वे एक सफल उद्यमी हैं। 17 साल की उम्र में प्रेम को किसी जानकार ने उन्हें नौकरी दिलाने का झांसा दिया। प्रेम उस झांसे में आकर अपना घर छोड़कर मुंबई चले आए। मुंबई पहुंचने पर जानकार ने प्रेम को धोखा दे दिया। लेकिन मुंबई जैसे महानगर में इस मुश्किल भरे समय में मिले धोखे को प्रेम ने चुनौती के रूप में स्वीकार किया। 

 

मुंबई आते ही प्रेम की कड़ी मेहनत शुरू हो गई और जीवन के साथ संघर्ष करते-करते वे आज डोसा प्लाज़ा के मालिक हैं जोकि एक मल्टी करोड़ का बिजनेस बन चुका है। मुंबई आने के बाद उन्होंने माहिम स्थित एक छोटी सी बेकरी में बर्तन धोने का काम शुरु किया। इस काम के लिए प्रेम को 150 रुपए प्रतिमाह मिलते थे। 
 

प्रेम ने बताया कि सबसे अच्छी बात यह थी कि बेकरी के मालिक ने मुझे रात को वहीं सोने की इजाजत दे दी। उसके बाद दो साल तक मैंने कई रेस्त्रां में काम किया। इस दौरान मैंने ज्यादा से ज्यादा पैसा बचाने का प्रयास किया। कुछ समय मैंने पिज्जा की होम डिलीवरी का काम भी किया। फिर मैं नवी मुंबई आ गया और एक रेस्त्रां में फिर से बर्तन धोने का काम करने लगा। सन 1992 तक मैंने इतना पैसा बचा लिया था कि मैं एक रेहड़ी किराए पर ले सकूं। रेहडी पर मैंने इडली और डोसा बनाकर बेचना शुरु किया। 

 

इस काम ने ही प्रेम को नई बुलंदियों पर पहुंचा दिया। उन्होंने मुंबई स्टेशन के आगे अपनी रेहड़ी लगानी शुरू कर दी। प्रेम ने बताया कि वो समय उनके लिए बहुत कठिनाईयों भरा था। कई बार नगर निगम की गाडिय़ां उनकी रेहडी को उठाकर ले जाती थीं और सामान भी सारा खराब हो जाता था लेकिन अपनी सकारात्मक सोच और दृढ़ता के साथ वे अपने काम में जुटे रहे।

 

प्रेम का भाग्य अच्छा था कि जहां वे रहते थे उनके आसपास के लोग पढ़े-लिखे थे, जिनकी संगत में रहकर प्रेम ने कम्यूटर चलाना सीख लिया था। वे शाम को काम से दो घंटे का ब्रेक लेते और साइबर कैफे जाकर इंटरनेट सर्फ किया करते। जहां से प्रेम अलग-अलग बिजनेस के बारे में जानकारियां लेते। मैकडोनल्ड की सफलता से प्रेरणा लेते हुए प्रेम ने भी अपना एक रेस्त्रां खोलने की सोची।


सन 1997 में उन्होंने एक छोटी सी जगह किराए पर ली, जिसका किराया पांच हजार रुपए प्रतिमाह था। प्रेम ने वहां 'प्रेम सागर डोसा प्लाजा' नाम से एक छोटा सा रेस्त्रां खोला। प्रेम ने डोसा बनाने में कई प्रयोग किए। पहले साल में ही उन्होंने 26 अलग-अलग वराइटी के डोसा लोगों के सामने पेश किए। जिन्हें लोगों ने काफी पसंद किया। सन 2002 तक वे 105 तरह के डोसा बनाने लगे थे।


इसी दौरान उनके इलाके में एक मॉल खुला। जहां की मैनेजमेंट टीम अक्सर उनके रेस्त्रां में खाना खाने आया करती थी। उन लोगों ने प्रेम को सलाह दी कि वे भी इस मॉल में अपना एक रेस्त्रां खोलें। प्रेम बताते हैं कि बहुत जल्दी ही उन्हें फ्रेंचाइज़ी के ऑफर भी आने लगे। यह ऑफर उन्हें विदेशों से भी मिल रहे थे। प्रेम का बिजनेस इस दौरान लगातार बढ़ रहा था। आज आलम यह है कि उनके 45 आउटलेट भारत में हैं और यूएई, ओमान और न्यूज़ीलैंड में 7 इंटरनेशनल आउटलेट हैं। प्रेम आज करीब 30 करोड़ के बिजनेस के मालिक है। 

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