Edited By Pardeep,Updated: 02 Oct, 2025 05:41 AM

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को सैनिकों और अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि बदलती दुनिया के साथ-साथ सुरक्षा की चुनौतियां भी अब अधिक जटिल और बहुआयामी हो गई हैं। उन्होंने सैनिकों से आग्रह किया कि वे नई तकनीकों को अपनाएं, नियमित प्रशिक्षण...
नेशनल डेस्कः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को सैनिकों और अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि बदलती दुनिया के साथ-साथ सुरक्षा की चुनौतियां भी अब अधिक जटिल और बहुआयामी हो गई हैं। उन्होंने सैनिकों से आग्रह किया कि वे नई तकनीकों को अपनाएं, नियमित प्रशिक्षण लें और हर परिस्थिति के लिए खुद को तैयार रखें।
विजयदशमी की पूर्व संध्या पर संबोधन
भुज सैन्य स्टेशन पर विजयदशमी की पूर्व संध्या पर सैनिकों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा: “आज दुनिया जिस गति से बदल रही है, आप सभी स्वयं देख रहे हैं। तकनीक लगातार विकसित हो रही है। जो चीजें कुछ समय पहले तक आधुनिक मानी जाती थीं, वे अब पुरानी तकनीक बन चुकी हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत अब केवल पारंपरिक युद्धों का ही सामना नहीं कर रहा है, बल्कि आतंकवाद, साइबर अटैक, ड्रोन हमले और सूचना युद्ध (Information Warfare) जैसी नई चुनौतियों से भी जूझ रहा है।
हथियारों से नहीं, मनोबल और अनुशासन से जीत होती है
रक्षा मंत्री ने कहा कि युद्ध केवल हथियारों की ताकत से नहीं जीते जाते। उन्होंने जोर देकर कहा कि मनोबल, अनुशासन, प्रशिक्षण और निरंतर तत्परता ही किसी भी सेना की असली ताकत होती है। “आज की दुनिया में वही सेना अजेय रहती है, जो लगातार सीखती है और हर नई परिस्थिति के साथ खुद को ढाल लेती है।”
ऑपरेशन सिंदूर के बाद कच्छ का दूसरा दौरा
यह राजनाथ सिंह का कच्छ का दूसरा दौरा था। इससे पहले वह ऑपरेशन सिंदूर के समय यहां पहुंचे थे। दो दिवसीय दौरे में उन्होंने सैन्य स्टेशन पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लिया। जवानों के साथ बड़ाखाना (सामूहिक रात्रिभोज) किया।गुरुवार को सैनिकों के साथ दशहरा और शस्त्र पूजन में हिस्सा लेने वाले हैं
ऑपरेशन सिंदूर में रक्षा लेखा विभाग की सराहना
दिल्ली में रक्षा लेखा विभाग (Defence Accounts Department - DAD) के स्थापना दिवस समारोह में राजनाथ सिंह ने विभाग की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी दुनिया ने सशस्त्र बलों का साहस और पराक्रम देखा। लेकिन इसके पीछे रक्षा लेखा विभाग ने वित्तीय लचीलापन, संसाधनों का कुशल उपयोग और ऑपरेशनल तैयारी सुनिश्चित करके “मूक नायक” की भूमिका निभाई। “युद्ध जीतने के लिए सिर्फ वीरता ही नहीं, बल्कि समय पर संसाधनों की उपलब्धता और मजबूत वित्तीय प्रबंधन भी उतना ही जरूरी है। ऑपरेशन सिंदूर में डीएडी ने यह सुनिश्चित किया।”