Edited By Anu Malhotra,Updated: 27 Sep, 2025 02:45 PM

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मृतक खाताधारकों की जमा राशि को उनके नामित परिजनों को उपलब्ध कराने के लिए एक नए, सरल और समयबद्ध नियम की घोषणा की है। इस नए फैसले के तहत, बैंक खातों में जिन मृतकों की राशि पड़ी है, उनके नामित व्यक्ति अब 15 लाख रुपये तक राशि...
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मृतक बैंक ग्राहकों के परिजनों के लिए दावा निपटान (Claim Settlement) की प्रक्रिया को सरल और तेज बनाने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। अब 15 लाख रुपये तक (कोऑपरेटिव बैंकों के लिए 5 लाख रुपये) का दावा परिजन बिना किसी कानूनी दस्तावेज के कर पाएंगे। ये नियम 31 मार्च 2026 तक लागू करना सभी बैंकों के लिए अनिवार्य होगा।
देरी पर भरना होगा जुर्माना
अगर बैंक की लापरवाही से दावों के निपटान में देरी होती है, तो परिजनों को मुआवजा मिलेगा। यह मुआवजा बैंक दर + 4% सालाना की दर से ब्याज के रूप में देना होगा।
दस्तावेजों पर अब नहीं होगा जोर
जिन खातों में नॉमिनेशन या Survivorship Clause है, वहां नॉमिनी या उत्तरजीवी से बैंक उत्तराधिकार प्रमाण पत्र, वसीयत का प्रोबेट या प्रशासन पत्र की मांग नहीं करेगा। हालांकि नॉमिनी को स्पष्ट रूप से बताना होगा कि वह कानूनी वारिसों का न्यासी (trustee) है।
फिक्स डिपॉजिट पर भी राहत
मृतक जमाकर्ता के फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या टर्म डिपॉजिट को बिना किसी जुर्माने के समय से पहले बंद करने की अनुमति दी जाएगी, चाहे लॉक-इन पीरियड बचा हो।
लॉकर दावे पर सख्त टाइमलाइन
सेफ डिपॉजिट लॉकर या सेफ कस्टडी दावों पर बैंक को 15 दिन में कार्रवाई करनी होगी। निर्धारित समयसीमा तोड़ने पर हर अतिरिक्त दिन के लिए दावेदार को 5,000 रुपये मुआवजा देना होगा। उदाहरण के लिए, अगर बैंक 20 दिन लगाता है, तो 5 दिन की देरी पर 25,000 रुपये का मुआवजा देना होगा।