Kedarnath Yatra: 8-9 घंटे की पैदल यात्रा से मिलेगी मुक्ति... अब सिर्फ 36 मिनट में केदारनाथ पहुंचेंगे श्रद्धालु- सरकार का बड़ा प्लान तैयार

Edited By Updated: 03 Sep, 2025 12:16 PM

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अब वह दिन दूर नहीं जब केदारनाथ और हेमकुंड साहिब की कठिन और थकाने वाली यात्राएं बेहद आसान, सुलभ और समय-संक्षिप्त हो जाएंगी। उत्तराखंड सरकार और नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है, जिसके तहत राज्य में दो...

नेशनल डेस्क:  अब वह दिन दूर नहीं जब केदारनाथ और हेमकुंड साहिब की कठिन और थकाने वाली यात्राएं बेहद आसान, सुलभ और समय-संक्षिप्त हो जाएंगी। उत्तराखंड सरकार और नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है, जिसके तहत राज्य में दो मेगा रोपवे प्रोजेक्ट्स विकसित किए जाएंगे। यह पहल न केवल यात्रा को सुगम बनाएगी बल्कि पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का काम भी करेगी।

यह समझौता 6800 करोड़ रुपये के निवेश के साथ हुआ है, जिसमें दो प्रमुख रोपवे परियोजनाएं शामिल हैं। पहली परियोजना सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक बनाई जाएगी, जिसकी लंबाई 12.9 किलोमीटर होगी और इसकी अनुमानित लागत करीब 4100 करोड़ रुपये है। दूसरी परियोजना गोविंदघाट से लेकर पवित्र हेमकुंड साहिब तक 12.4 किलोमीटर लंबी रोपवे लाइन के निर्माण की है, जिस पर लगभग 2700 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

NHLML, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधीन एक विशेष उद्देश्य इकाई (SPV) के रूप में कार्य करती है और यह परियोजनाएं केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी पर्वतमाला परियोजना के अंतर्गत लाई जा रही हैं। इन परियोजनाओं को केंद्र सरकार की मंजूरी इसी वर्ष मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दी गई थी।

इस करार पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री अजय टम्टा, और राज्य के पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। इस मौके पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि ये परियोजनाएं उत्तराखंड की धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाएंगी, साथ ही राज्य की आर्थ‍िक प्रगति, रोजगार सृजन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगी।

विशेष बात यह है कि सोनप्रयाग से केदारनाथ तक की यात्रा जो अब तक 16 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई और 8-9 घंटे की पैदल या टट्टू यात्रा से तय होती थी, अब रोपवे के माध्यम से मात्र 36 मिनट में पूरी हो सकेगी। इससे बुजुर्ग श्रद्धालुओं और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे यात्रियों को भी बड़ी राहत मिलेगी। यह रोपवे मंदिर तक सभी मौसमों में पहुंच सुनिश्चित करने में सहायक होगा, जो फिलहाल मौसम की मार झेलता है।

दूसरी ओर, गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक बनने वाला रोपवे उन श्रद्धालुओं के लिए वरदान होगा जो 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस पवित्र स्थल की कठिन यात्रा नहीं कर पाते। चमोली जिले में स्थित यह गुरुद्वारा सिक्ख धर्म का प्रमुख तीर्थ है और सालभर लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन को आते हैं। नई रोपवे सुविधा इन यात्रियों को सुरक्षित और सुविधाजनक पहुंच प्रदान करेगी।
 
 

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