Sarla Bhatt: हॉस्टल से अगवा कर हाथ-पैर बांधे मुंह में कपड़ा ठूंस किया गैंगरेप, अंत में.. कश्मीरी पंडित नर्स की दिल दहला देगी आपबीती

Edited By Updated: 13 Aug, 2025 01:45 PM

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सालों बीत गए, लेकिन कुछ जख्म ऐसे होते हैं जो वक्त के साथ और गहरे हो जाते हैं। ऐसा ही एक मामला है सरला भट्ट का - एक युवा नर्स, जो मरीजों की सेवा को अपना फर्ज मानती थी, लेकिन उसी धरती पर उसे बेरहमी से कुचला गया। अब, 35 साल बाद, एक बार फिर उसके साथ हुई...

नेशनल डेस्क:  सालों बीत गए, लेकिन कुछ जख्म ऐसे होते हैं जो वक्त के साथ और गहरे हो जाते हैं। ऐसा ही एक मामला है सरला भट्ट का --- एक युवा नर्स, जो मरीजों की सेवा को अपना फर्ज मानती थी, लेकिन उसी धरती पर उसे बेरहमी से कुचला गया। अब, 35 साल बाद, एक बार फिर उसके साथ हुई दरिंदगी की गूंज घाटी में सुनाई दे रही है। हाल ही में इस मामले की दोबारा जांच शुरू हुई है, और कश्मीर में फिर से सरला का नाम लोगों की जुबां पर है। क्या अब उसे न्याय मिलेगा?

कौन थीं सरला भट्ट?
सरला भट्ट एक 27 वर्षीय कश्मीरी पंडित नर्स थीं, जो श्रीनगर के मशहूर शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में सेवाएं दे रही थीं। वह अनंतनाग जिले की रहने वाली थीं और श्रीनगर के सौरा इलाके में एक नर्सिंग हॉस्टल में रहती थीं। वह न सिर्फ पेशे से बल्कि सोच से भी निडर और इंसाफ पसंद महिला थीं।

18 अप्रैल 1990: वो खौफनाक दिन
1990 का दशक कश्मीर के इतिहास का सबसे काला दौर माना जाता है। 18 अप्रैल को श्रीनगर के सौरा इलाके में उस समय अफरातफरी मच गई जब सरला भट्ट को हॉस्टल से अगवा कर लिया गया। आतंकियों ने उन्हें निशाना इसलिए बनाया क्योंकि वह उन फरमानों को मानने से इनकार कर चुकी थीं, जिनमें कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने या सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने की धमकी दी गई थी।

दरिंदगी की हदें पार
अपहरण के बाद सरला को कई दिनों तक यातनाएं दी गईं। बताया जाता है कि उनके हाथ-पैर बांध दिए गए थे, मुंह में कपड़ा ठूंसा गया था, और उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। अंत में उन्हें गोली मार दी गई और उनका शव श्रीनगर के मल्लाबाग स्थित उमर कॉलोनी में मिला। उनके शरीर के पास एक नोट मिला जिसमें उन्हें 'पुलिस का मुखबिर' बताया गया था - एक बेहूदा झूठ जिसके जरिए आतंकियों ने अपनी वहशत को जायज़ ठहराने की कोशिश की।

कश्मीरी पंडितों के पलायन की त्रासदी से जुड़ा था यह मामला
सरला की हत्या सिर्फ एक महिला पर हमला नहीं थी, यह एक समुदाय के खिलाफ रची गई साजिश का हिस्सा थी। उस दौर में सैकड़ों कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया गया, धमकाया गया और घाटी से बाहर भागने पर मजबूर किया गया। सरला भट्ट उन चंद लोगों में थीं जिन्होंने डर के आगे झुकने से इनकार कर दिया -- और इसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

अब क्यों खुला है मामला?
इस केस को हाल ही में फिर से खोला गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस की विशेष जांच एजेंसी (SIA) को यह जिम्मा सौंपा गया है, जो 1990 के दशक के अनसुलझे आतंकी मामलों की दोबारा जांच कर रही है। 12 अगस्त 2025 को SIA ने श्रीनगर में 8 ठिकानों पर छापेमारी की। यह तलाशी अभियान JKLF (जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट) से जुड़े पूर्व कमांडरों और नेताओं पर केंद्रित था।

छापेमारी की लिस्ट में यासीन मलिक और JKLF के पूर्व नेता पीर नूरुल हक शाह उर्फ "एयर मार्शल" जैसे नाम शामिल हैं। जांच एजेंसियों का उद्देश्य है कि सरला भट्ट की हत्या से जुड़े उन तमाम चेहरों को सामने लाया जाए, जिन्होंने इस साजिश को अंजाम दिया या उसमें किसी भी तरह से शामिल रहे।

क्या अब मिलेगा इंसाफ?
सरला भट्ट की मौत के 35 साल बाद एक बार फिर उम्मीद जगी है। कश्मीरी पंडितों के समुदाय ने इस कदम का स्वागत किया है और भरोसा जताया है कि इस बार दोषियों को कानून के कठघरे में लाया जाएगा। ये केस सिर्फ एक महिला की हत्या नहीं, बल्कि एक पूरे समुदाय के दर्द और संघर्ष का प्रतीक बन चुका है।
 

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