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सिर्फ रजिस्ट्री से नहीं बनते मालिक, छिन सकती है संपत्ति, सुप्रीम कोर्ट ने बताया प्रॉपर्टी का असली मालिक कौन

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 18 Jul, 2025 10:09 AM

sc property ownership decision rights will not be given by just registry

अक्सर लोग यह सोचते हैं कि अगर किसी घर, दुकान या जमीन की रजिस्ट्री उनके नाम पर हो गई है तो वे उस प्रॉपर्टी के पूरा हकदार यानी मालिक बन गए हैं। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया है। कोर्ट ने साफ किया है कि केवल रजिस्ट्री...

नेशनल डेस्क: अक्सर लोग यह सोचते हैं कि अगर किसी घर, दुकान या जमीन की रजिस्ट्री उनके नाम पर हो गई है तो वे उस प्रॉपर्टी के पूरा हकदार यानी मालिक बन गए हैं। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया है। कोर्ट ने साफ किया है कि केवल रजिस्ट्री होना प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक साबित नहीं करता।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: टाइटल डीड असली आधार

सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में स्पष्ट किया है कि प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन केवल एक औपचारिक प्रक्रिया है और इससे आपको कानूनी रूप से मालिकाना हक नहीं मिल जाता। असली मालिकाना हक तब माना जाएगा जब आपके पास साफ और स्पष्ट टाइटल डीड हो। इसका अर्थ है कि उस संपत्ति की पूरी इतिहास यानी "चेन ऑफ ओनरशिप" पूरी और पारदर्शी होनी चाहिए। टाइटल डीड की वैधता के लिए यह जरूरी है कि प्रॉपर्टी के सभी पिछले सौदों के कागजात आपके पास मौजूद हों, सेल डीड की पूरी चेन उपलब्ध हो, और सरकारी रिकॉर्ड में दाखिल-खारिज (Mutation) आपके नाम पर किया गया हो। इसके अतिरिक्त, बिजली-पानी के बिल और प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें भी आपके नाम पर होनी चाहिए ताकि आप प्रॉपर्टी पर अपना वैध अधिकार सिद्ध कर सकें।

केवल रजिस्ट्रेशन से नहीं होता मालिकाना हक

रजिस्ट्री होना यह जरूर साबित करता है कि आपने उस प्रॉपर्टी को खरीदा है, लेकिन यह अपने आप में यह गारंटी नहीं देता कि आप उसके असली और कानूनी मालिक हैं। असली मालिकाना हक तभी माना जाता है जब प्रॉपर्टी से जुड़े सभी दस्तावेज़ सही तरीके से हस्तांतरित किए गए हों, वह संपत्ति सरकारी रिकॉर्ड में आपके नाम पर दर्ज हो चुकी हो और उस पर किसी भी तरह का कानूनी विवाद या किसी अन्य व्यक्ति का दावा न हो। केवल रजिस्ट्री के आधार पर मालिकाना अधिकार मान लेना गलतफहमी हो सकती है, खासकर जब किसी संपत्ति का कानूनी परीक्षण किया जा रहा हो।

क्या है ‘टाइटल डीड’?

टाइटल डीड (Title Deed) वह महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है जो यह प्रमाणित करता है कि किसी प्रॉपर्टी का वास्तविक और कानूनी हकदार कौन है। यह दस्तावेज तब वैध माना जाता है जब प्रॉपर्टी पुराने मालिक से नए खरीदार को विधिवत रूप से बेची गई हो और उस लेन-देन से जुड़े सभी दस्तावेज क्रमवार तरीके से उपलब्ध हों। इसके साथ ही, प्रॉपर्टी से संबंधित सभी रजिस्ट्रेशन कानूनी रूप से सही और वैध होने चाहिए, और सरकारी रिकॉर्ड में भी समय-समय पर दाखिल-खारिज (Mutation) की प्रक्रिया पूरी की गई हो। टाइटल डीड की पारदर्शिता और संपूर्णता ही यह सुनिश्चित करती है कि किसी संपत्ति पर आपका दावा मजबूत और वैध है।

घर में रहना मालिकाना हक नहीं देता

भारत में प्रॉपर्टी का मालिकाना हक केवल इस आधार पर नहीं माना जाता कि आप उस संपत्ति में रह रहे हैं। मालिकाना हक पाने के लिए यह साबित करना अनिवार्य होता है कि आपने उस संपत्ति को वैध और कानूनी तरीके से प्राप्त किया है। साथ ही, प्रॉपर्टी का विवरण सरकारी दस्तावेजों और रिकॉर्ड में आपके नाम पर दर्ज होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि उस संपत्ति पर किसी अन्य व्यक्ति का दावा न हो और न ही कोई कानूनी विवाद लंबित हो। केवल कब्जे में रहने से मालिकाना हक सिद्ध नहीं होता, जब तक कि उसका प्रमाण दस्तावेजों में स्पष्ट न हो।

बैंक और नगर निगम भी मांगते हैं साफ दस्तावेज़

अगर आप किसी बैंक से लोन लेना चाहते हैं या अपनी जमीन पर कोई निर्माण कार्य करवाने की योजना बना रहे हैं तो आपको संबंधित संपत्ति से जुड़े सभी कानूनी दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। बैंक आपसे साफ और विवाद रहित टाइटल डीड की मांग करेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रॉपर्टी पर आपका वैध मालिकाना हक है। वहीं नगर पालिका या नगर निगम निर्माण की अनुमति देने से पहले म्युटेशन (दाखिल-खारिज) दस्तावेज़ की जांच करेगा। इसके अलावा, बिजली और पानी जैसी आवश्यक सुविधाओं का कनेक्शन भी तभी मिल सकेगा जब संपत्ति सरकारी रिकॉर्ड में आपके नाम से दर्ज हो।

झूठे दावों और कानूनी झंझट से बचना है तो रखें ये दस्तावेज़:

  1. सेल डीड और उसकी पूरी चेन

  2. दाखिल-खारिज (Mutation) प्रमाण पत्र

  3. प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें

  4. बिजली-पानी के बिल

  5. विरासत में मिली संपत्ति के लिए उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र

विरासत में मिली संपत्ति का भी रखें ध्यान

अगर कोई संपत्ति आपको विरासत में मिली है तो आप उसके हकदार तभी बनेंगे जब आपके पास कानूनी उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र (Legal Heir Certificate) होगा। इसके बिना आप भविष्य में प्रॉपर्टी पर हक साबित नहीं कर पाएंगे।

क्या करना चाहिए हर प्रॉपर्टी मालिक को?

  • अपने प्रॉपर्टी दस्तावेज़ों को सुरक्षित रखें

  • दाखिल-खारिज की प्रक्रिया समय पर पूरी करें

  • सभी पुराने सौदों की कॉपी रखें

  • बिजली, पानी और टैक्स का रिकॉर्ड नियमित रखें

  • विरासत संबंधी संपत्तियों के कागजात भी समय रहते बनवाएं

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