Share Market New Rules: शेयर बाजार में 1 अक्टूबर से लागू होंगे नए नियम, जानें निवेशकों पर क्या होगा असर

Edited By Updated: 02 Sep, 2025 02:00 PM

sebi s new trading rules to boost market stability from october

सेबी का नया नियम 1 अक्टूबर से लागू होगा, जिसमें इंडेक्स ऑप्शंस के लिए इंट्राडे नेट पोजीशन लिमिट ₹1500 करोड़ से बढ़ाकर ₹5000 करोड़ कर दी गई है। निवेशकों को अपनी पोजीशन वास्तविक मार्जिन के आधार पर ही बनानी होगी। इससे बाजार में स्थिरता बढ़ेगी,...

बिजनेस डेस्क: सेबी (Securities and Exchange Board of India) ने शेयर बाजार में ट्रेडिंग को और पारदर्शी तथा स्थिर बनाने के लिए एक नया नियम जारी किया है जो 1 अक्टूबर से लागू होगा। इस नए नियम के तहत निवेशकों को अपनी पोजीशन को अपने पास उपलब्ध असली मार्जिन के हिसाब से ही रखना होगा। आइए जानते हैं इस बदलाव का पूरा असर और इससे क्या फायदे होंगे...

सेबी का नया नियम क्या है?

सेबी ने इंट्राडे डेरिवेटिव ट्रेडिंग यानी F&O (फ्यूचर्स और ऑप्शंस) में नई पोजीशन लिमिट तय की है। खासतौर पर इंडेक्स ऑप्शंस के लिए अब इंट्राडे नेट पोजीशन लिमिट 1500 करोड़ से बढ़ाकर 5000 करोड़ रुपये प्रति इकाई कर दी गई है। इसका मकसद बाजार में गहराई और स्थिरता को संतुलित करना है ताकि कोई भी निवेशक जरूरत से ज्यादा बड़ा दांव न लगा सके।

नेट इंट्राडे पोजीशन लिमिट क्या है?

इस नए नियम के तहत फ्यूचर्स-इक्विवेलेंट (FutEq) फ्रेमवर्क के जरिए निवेशक की नेट इंट्राडे पोजीशन की सीमा 5000 करोड़ रुपये होगी। मतलब, लंबी (लॉन्ग) और छोटी (शॉर्ट) पोजीशनों को मिलाकर जो कुल पोजीशन है वह इस सीमा से ऊपर नहीं हो सकती। साथ ही ग्रॉस पोजीशन लिमिट 10000 करोड़ रुपये पर बनी रहेगी जो लॉन्ग और शॉर्ट दोनों साइड पर अलग-अलग लागू होगी।

नए नियम का निवेशकों पर क्या प्रभाव होगा?

अब निवेशक अपने पास मौजूद वास्तविक पूंजी और मार्जिन के आधार पर ही ट्रेड कर सकेंगे। इसका मतलब है कि बड़ी पोजीशन लेने के लिए अब पहले से ज्यादा पूंजी जमा करनी होगी। इससे बाजार में लीवरेज का स्तर घटेगा और अनियंत्रित सट्टा कम होगा। रिटेल निवेशकों के लिए यह एक बड़ा फायदा होगा क्योंकि अब वे ज्यादा बड़े और जोखिम वाले ट्रेड नहीं कर पाएंगे जो बाजार में अस्थिरता और नुकसान का कारण बनते हैं।

सेबी ने क्यों लिया यह कदम?

कुछ निवेशक बड़ी पोजीशन लेकर ज्यादा लीवरेज का इस्तेमाल करते थे जिससे बाजार में जोखिम और अस्थिरता बढ़ती थी। सेबी का उद्देश्य है कि मार्केट में पारदर्शिता और स्थिरता बढ़े, ताकि छोटे निवेशक सुरक्षित रहें और मार्केट का संतुलित विकास हो। साथ ही एक्सचेंजों के निगरानी मानदंड भी कड़े कर दिए गए हैं ताकि किसी भी बड़ी और संदिग्ध पोजीशन पर नजर रखी जा सके।

नए नियम से क्या-क्या फायदे होंगे?

नए सेबी नियम से बाजार में स्थिरता आएगी क्योंकि जोखिम कम होगा और बाजार अधिक संतुलित रहेगा। इसके साथ ही रिटेल निवेशकों की सुरक्षा भी बेहतर होगी, जिससे छोटे निवेशकों को अनावश्यक नुकसान से बचाया जा सकेगा। इस नियम के तहत ट्रेडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी क्योंकि अब पोजीशन असली पूंजी और मार्जिन के आधार पर ही बनाई जा सकेगी। लीवरेज पर भी कड़ी सीमा लगाई गई है, जिससे कोई भी जरूरत से ज्यादा लीवरेज लेकर बड़ा सट्टा नहीं लगा पाएगा और इस तरह सट्टेबाजी में कमी आएगी। इसके अलावा एक्सचेंज भी बड़े ट्रेड्स पर सख्ती से नजर रखेंगे जिससे किसी भी गलत या संदिग्ध कारोबार पर तुरंत रोक लगाई जा सकेगी।

निवेशक अब क्या करें?

निवेशकों को चाहिए कि वे अपनी ट्रेडिंग रणनीति को इस नए नियम के अनुसार अपडेट करें। अपनी पूंजी और मार्जिन का सही आकलन करके ही ट्रेड करें ताकि नियमों का उल्लंघन न हो। साथ ही जोखिम प्रबंधन को प्राथमिकता दें ताकि बाजार की नई स्थितियों में बेहतर फायदा हो सके।

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