Edited By Rohini Oberoi,Updated: 01 Dec, 2025 03:22 PM

देश के पूर्वोत्तर राज्य असम ने एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम उठाते हुए बहुविवाह (Polygamy) पर रोक लगा दी है। असम विधानसभा ने बीते मंगलवार को 'असम बहुविवाह निषेध विधेयक 2025' को ध्वनिमत से पारित कर दिया है जिसके बाद अब राज्य में एक से ज़्यादा शादी करना...
नेशनल डेस्क। देश के पूर्वोत्तर राज्य असम ने एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम उठाते हुए बहुविवाह (Polygamy) पर रोक लगा दी है। असम विधानसभा ने बीते मंगलवार को 'असम बहुविवाह निषेध विधेयक 2025' को ध्वनिमत से पारित कर दिया है जिसके बाद अब राज्य में एक से ज़्यादा शादी करना पूरी तरह से गैरकानूनी हो गया है। इस विधेयक की सबसे बड़ी बात यह है कि यह सभी धर्मों के लोगों पर समान रूप से लागू होगा। इसका मतलब है कि असम में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग भी अब इस्लामी कानून के तहत एक से अधिक शादियां नहीं कर सकेंगे।
नए विधेयक में क्या हैं कड़े प्रावधान?
असम सरकार द्वारा लाए गए इस बिल में बहुविवाह को रोकने के लिए सख्त सज़ा और दंड का प्रावधान किया गया है:
| अपराध का प्रकार |
सज़ा का प्रावधान |
| पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करना |
सात साल तक की जेल और जुर्माना। |
| पहली शादी को छिपाकर दूसरी शादी करना |
10 साल तक की कैद और भारी-भरकम जुर्माना। |
| बार-बार कृत्य करना |
सज़ा दोगुनी की जा सकती है। |
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अपवाद: अगर किसी व्यक्ति की दूसरी शादी की बात को छिपाने या उसे बढ़ावा देने वाले (जैसे गाँव के मुखिया, काजी, पुजारी, अभिभावक, या कोई दूसरा व्यक्ति) दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें भी दो साल तक की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है।
सरकारी लाभ और नौकरी से होंगे वंचित
बहुविवाह करने वाले व्यक्तियों को कई सरकारी सुविधाओं से भी वंचित किया जाएगा। एक से ज़्यादा शादी करने वाला व्यक्ति भविष्य में सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं होगा। उन्हें सरकार द्वारा चलाई जा रही किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे व्यक्ति किसी भी तरह का चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे।
पहले से शादी कर चुके लोगों का क्या होगा?
इस विधेयक के पारित होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा था कि जो लोग पहले से ही दो या इससे अधिक शादियाँ कर चुके हैं उनका क्या होगा?
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भविष्य पर रोक: यह विधेयक भविष्य में बहुविवाह की व्यवस्था पर रोक लगाता है।
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पहले की शादियां वैध: बिल में पहले से एक से ज़्यादा शादी कर चुके लोगों के खिलाफ कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इसका मतलब स्पष्ट है कि यह बिल लागू होने के बाद किया गया बहुविवाह ही अपराध माना जाएगा जबकि पहले से हो चुकी शादियां वैध रहेंगी और उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस विधेयक के माध्यम से असम सरकार ने सामाजिक सुधार और महिलाओं को समानता का अधिकार देने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है।