कुछ किसानों को जेल भेजने से... सुप्रीम कोर्ट ने क्यों की ऐसी टिप्पणी

Edited By Updated: 17 Sep, 2025 04:55 PM

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण पर सुनवाई करते हुए पराली जलाने की समस्या पर गंभीर चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने के खिलाफ सख्त कदम उठाना जरूरी है और दंडात्मक कार्रवाई से पीछे नहीं हटना चाहिए। कोर्ट ने बायोफ्यूल बनाने के लिए...

नेशनल डेस्क : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पराली जलाने की समस्या पर गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने साफ कहा कि इस समस्या पर कड़ा कदम उठाना जरूरी है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अगर कुछ किसानों को जेल भेजा जाएगा, तो बाकी किसानों को स्पष्ट संदेश मिलेगा कि अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

दंडात्मक कार्रवाई जरूरी 
वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कोर्ट में तर्क दिया कि पहले भी कई किसानों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन ज्यादातर छोटे किसान थे। कुछ के पास तो बहुत कम जमीन है, और अगर उन्हें जेल भेज दिया जाता है, तो उनके परिवारों का क्या होगा? इस पर CJI ने स्पष्ट किया कि अदालत नियमित गिरफ्तारियों की बात नहीं कर रही, बल्कि एक सख्त संदेश देने की जरूरत है ताकि पराली जलाने की घटनाएं कम हों और अपराधियों में जेल जाने का डर बने। उन्होंने कहा, "अगर पर्यावरण बचाना हमारी प्राथमिकता है, तो दंडात्मक कार्रवाई से क्यों पीछे हटना?"

पराली से बायोफ्यूल बनाने की संभावना पर जोर
सुनवाई के दौरान CJI ने पराली के बायोफ्यूल के रूप में उपयोग की संभावना पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने अखबारों में छपी रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि इसके लिए लंबा प्रोसेस नहीं चाहिए। कोर्ट ने किसानों को सम्मान देने की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि उनकी मेहनत से ही देश की जनता का पेट भरता है। लेकिन साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा को उतना ही महत्वपूर्ण बताया।

एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कोर्ट को सूचित किया कि केंद्र सरकार ने किसानों को पराली प्रबंधन के लिए उपकरण और सब्सिडी प्रदान की है। कॉर्पोरेट क्षेत्र को 80 प्रतिशत और व्यक्तिगत किसानों को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी उपलब्ध कराई गई है। फिर भी पराली जलाने की समस्या जस की तस बनी हुई है।

कोर्ट ने दी चेतावनी
CJI ने चेतावनी दी कि अगर जल्द कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया, तो सुप्रीम कोर्ट स्वयं आदेश जारी करेगा। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) भाटी ने कोर्ट से अनुरोध किया कि स्थिति रिपोर्ट पेश होने के बाद मामले पर अगले हफ्ते सुनवाई की जाए। अदालत ने इस पर सहमति जताई। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि 2018 से अब तक कई आदेश जारी किए जा चुके हैं, लेकिन समस्या में कोई सुधार नहीं हुआ है। यह सुनवाई दिल्ली-NCR के वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयासों का हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट का यह रुख पराली जलाने को रोकने के लिए दंडात्मक उपायों की आवश्यकता पर जोर देता है, ताकि स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा हो सके।

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