TV और Mobile देखने को लेकर हुआ विवाद, 21 साल की बेटी और 8 साल के बेटे ने थाने पहुंचकर माता-पिता के खिलाफ की शिकायत

Edited By Updated: 01 Aug, 2024 10:54 AM

there was a dispute over watching tv and mobile children reach police station

बच्चों का टीवी और मोबाइल देखने की आदत को लेकर घरों में अक्सर विवाद होते हैं। लेकिन इंदौर के चंदन नगर में एक अजीब मामला सामने आया है जहां बच्चों ने अपने माता-पिता के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करवा दी।

नेशनल डेस्क: बच्चों का टीवी और मोबाइल देखने की आदत को लेकर घरों में अक्सर विवाद होते हैं। लेकिन इंदौर के चंदन नगर में एक अजीब मामला सामने आया है जहां बच्चों ने अपने माता-पिता के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करवा दी। 21 साल की बेटी और 8 साल का बेटा अपने माता-पिता द्वारा टीवी और मोबाइल देखने पर रोक लगाने से इतने नाराज हुए कि उन्होंने पुलिस के पास जाकर शिकायत कर दी। पुलिस ने उनकी शिकायत पर मामला दर्ज किया और माता-पिता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की।

क्या है पूरा मामले ?
चंदन नगर के इस परिवार में माता-पिता अपने बच्चों को टीवी देखने और लगातार मोबाइल चलाने से रोकते थे। इस कारण अक्सर घर में विवाद होते थे। बच्चों की शिकायत पर पुलिस ने धारा 342, 294, 323, 506 और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। इन धाराओं में सजा की अवधि एक साल से लेकर सात साल तक हो सकती है। इसके बाद पुलिस ने माता-पिता के खिलाफ चालान पेश कर दिया। हालांकि, मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगा दी है और ट्रायल को स्थगित कर दिया है।

धाराओं की पूरी जानकारी
1. धारा 342: किसी को बंधक बनाना या अवैध तरीके से रोकना।
   - सजा: सामान्य कारावास जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या 1000 रुपये तक जुर्माना। या दोनों दंड भी हो सकते हैं।

2. धारा 294: किसी पर अश्लील टिप्पणी करना या भद्दी बात करना।
   - सजा: कारावास जिसे तीन महीने तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना। दोनों सजा का प्रावधान है।

3. धारा 323: किसी को चोट पहुंचाना या मारपीट करना।
   - सजा: अधिकतम सात साल तक का कारावास, जुर्माना या दोनों। 

4. धारा 506: किसी को धमकाना या डराना।
   - सजा: धारा 506 के तहत कोई सजा का प्रावधान नहीं है, लेकिन यह मामला बच्चों के माता-पिता द्वारा डराने-धमकाने के आरोप में जुड़ा हुआ है।

माता-पिता का पक्ष
माता-पिता का कहना है कि बच्चों की मोबाइल और टीवी की लत से हर घर में समस्याएँ होती हैं। उन्होंने दावा किया कि वे बच्चों को प्यार से समझाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन यह मामला गलत तरीके से उठाया गया। उन्होंने अदालत को बताया कि बच्चों को डांटना और समझाना आम बात है और इसे अन्यायपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया गया है। 

वर्तमान स्थिति
वर्तमान में दोनों बच्चे अपनी बुआ के पास रह रहे हैं और परिवार में चल रहे विवाद के कारण माता-पिता का अपनी बहन से भी विवाद हो चुका है। अदालत में माता-पिता ने उच्च न्यायालय में अपील की है और उनकी याचिका पर विचार किया जा रहा है। यह मामला इस बात को उजागर करता है कि परिवारों के बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर कानूनी विवाद कितना गंभीर रूप ले सकता है। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ट्रायल पर अंतरिम रोक लगा दी है और आगे की कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है।

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