Edited By Tanuja,Updated: 14 Oct, 2018 06:42 PM
अमेरिका के दो सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डाटा स्थानीयकरण (आंकड़ों को देश के भीतर संग्रहीत करने की व्यवस्था) पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया है। उन्होंने चेताया कि भारत की इस नीति से अमेरिकी...
वॉशिंगटनः अमेरिका के दो सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डाटा स्थानीयकरण (आंकड़ों को देश के भीतर संग्रहीत करने की व्यवस्था) पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया है। उन्होंने चेताया कि भारत की इस नीति से अमेरिकी कंपनियों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। डाटा स्थानीयकरण का अर्थ है कि देश में रहने वाले नागरिकों के निजी आंकड़ों को एकत्र, प्रसंस्कृत और संग्रहीत करके उसी देश की सीमा के भीतर ही रखा जाए।
भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल में परिपत्र जारी करके सभी वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों से भुगतान प्रणाली से जुड़े सभी आंकड़ों को भारत में ही एक प्रणाली में संग्रहीत करने को कहा था। बैंक ने नियमों के अनुपालन के लिए 15 अक्टूबर का समय दिया है। अमेरिकी सांसद जॉन कॉर्नयन और मार्क वार्नर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में भारत सरकार के डाटा स्थानीयकरण का विरोध किया। उन्होंने कहा, "डाटा संरक्षण विधेयक और राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति की रूपरेखा में शामिल डाटा स्थानीयकरण से भारत में कारोबार करने वाली कंपनियों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इसका असर आपके अपने आर्थिक लक्ष्यों पर भी पड़ सकता है।" सांसदों ने आग्रह किया कि जब कंपनियां उच्च गुणवत्ता के निजता संबंधी सुरक्षा उपाय अपनाती हैं तो इससे यह फर्क नहीं पड़ता है कि वे डाटा कहां संग्रहीत करती हैं। उन्होंने कहा कि डाटा सुरक्षा के बजाए डाटा स्थानीयकरण पर जोर देने से उपभोक्ताओं और कंपनियों की दक्षता प्रभावित होगी और खरीद तथा डाटा सेवा की आपूर्ति की लागत में वृद्धि होगी। इससे वास्तव में या तो डाटा आधारित सेवाओं की लागत बढ़ेगी या फिर उनकी उपलब्धता कम हो जाएगी।