देवता से लेकर दानव तक करते हैं इन यंत्रों-तंत्रों का प्रयोग

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Nov, 2019 08:23 AM

use these tools and mechanisms

पौराणिक ग्रंथों में यत्र-तत्र यह उल्लेख मिलता है कि देवता, यक्ष, किन्नर, दानव, मानव आदि सभी यंत्र-तंत्रों का प्रयोग करते थे और उसकी महिमा से भी लाभान्वित होते थे। इनकी सिद्धि की सफलता साधक के श्रम पर निर्भर है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

पौराणिक ग्रंथों में यत्र-तत्र यह उल्लेख मिलता है कि देवता, यक्ष, किन्नर, दानव, मानव आदि सभी यंत्र-तंत्रों का प्रयोग करते थे और उसकी महिमा से भी लाभान्वित होते थे। इनकी सिद्धि की सफलता साधक के श्रम पर निर्भर है। भगवान ब्रह्मा ने ही मानव कल्याण के लिए कई सार्थक यंत्रों की खोज की, जिनकी पूजा प्रतिष्ठा आज भी भारत के विभिन्न पौराणिक स्थलों में होती है। भगवान दत्तात्रेय द्वारा रचित इंद्रजाल नामक ग्रंथ में भी कुछ लोकोपयोगी यंत्रों की महिमा का वर्णन है।

PunjabKesari Use these tools and mechanisms

श्रीयंत्र
यह सर्वाधिक लोकप्रिय प्रतीक यंत्र है। ‘श्री’ शब्द का मुख्यार्थ महात्रिपुर सुंदरी ही है। ‘श्री’ शब्द का अर्थ लक्ष्मी भी है। इसको त्रैलोक्य मोहन अर्थात तीनों लोकों का सम्मोहन करने वाला भी कहते हैं। यह सर्व रक्षाकार, सर्वव्याधिनिवारक, सर्वकष्टनाशक होने के कारण सर्वसिद्धिप्रद, सर्वार्थ-साधक, सर्वसौभाग्यदायक माना जाता है। इसे गंगाजल, दूध से स्वच्छ करके पूजा स्थान, व्यापारिक स्थान तथा अन्य शुद्ध स्थान पर रखा जाता है। इसकी पूजा पूर्व की ओर मुंह करके की जाती है। श्री यंत्र का सीधा मतलब है लक्ष्मी प्राप्ति का यंत्र। मध्य भाग में बिंदू और छोटे-बड़े मुख्य नौ त्रिकोण से बने 43 त्रिकोण, दो कमल दल, भूपुर, एक चतुरस 43 त्रिकोणों से निर्मित उन्नत शृंग के सदृश्य मेरु पृष्ठीय श्री यंत्र अलौकिक शक्ति एवं चमत्कारों से परिपूर्ण गुप्त शक्तियों का प्रजनन केंद्र बिंदू कहा गया है।

जिस प्रकार सभी कवचों में चंडी कवच श्रेष्ठ है उसी प्रकार सभी देवी-देवताओं के यंत्रों में श्री देवी का यंत्र सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। इसी कारण इसे यंत्रराज व यंत्र शिरोणि नाम से भी अभिहित किया गया है। दीपावली, धनतेरस, बसंत पंचमी अथवा पौष मास की संक्रांति के दिन यदि रविवार हो तो इस यंत्र का निर्माण व पूजन विशेष फलदायी माना गया है।

PunjabKesari Use these tools and mechanisms

श्री महालक्ष्मी यंत्र
श्री महालक्ष्मी यंत्र की अधिष्ठात्री देवी कमला हैं, अर्थात इस यंत्र का पूजन करते समय श्वेत हाथियों के द्वारा स्वर्ण कलश से स्नान करती हुई कमलासन पर बैठी लक्ष्मी का ध्यान करना चाहिए। विद्वानों के अनुसार इस यंत्र के नित्य दर्शन और पूजन से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इस यंत्र की पूजा वेदोक्त न होकर पुराणोक्त है। इसमें बिंदू, षट्कोण, वृत्त, अष्टदल एवं भूपुर की संरचना की गई है। धनतेरस, दीपावली, बसंत पंचमी, रविपुष्य एवं इस प्रकार के शुभ योगों में इसकी उपासना का महत्व है। ऐसी मान्यता है कि स्वर्ण, रजत एवं ताम्र से निर्मित इस यंत्र की उपासना से घर तथा स्थान विशेष में लक्ष्मी का स्थायी वास हो जाता है।

श्री गणेश यंत्र
गणेश यंत्र सर्व सिद्धि दायक व नाना प्रकार की उपलब्धियों व सिद्धियों को देने वाला है। इसमें गणपति का ध्यान किया जाता है। एक हाथ में पाश, एक में अंकुश, एक में मोदक एवं वरद् मुद्रा से सुशोभित एक दंत, त्रिनेत्र कनक, सिंहासन पर विराजमान गणपति की स्तुति की जाती है।

इस यंत्र के प्रभाव से गणपति प्रसन्न होकर व्यक्ति विशेष पर रिद्धि-सिद्धि की वर्षा करते हैं। साधक को इष्ट कृपा की अनुभूति होती है। उसके कार्य में आने वाली बाधाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं। व्यक्ति को अतुल धन, यश, र्कीत की प्राप्ति होती है। रविपुष्य, गुरुपुष्य अथवा गणेश चतुर्थी के दिन निर्मित इस यंत्र के निर्माण व पूजन से अभीष्ट सिद्धि की प्राप्ति होती है।

PunjabKesari Use these tools and mechanisms 
श्री दुर्गा (अम्बा जी) यंत्र
यह श्री दुर्गा अम्बे माता का यंत्र है। इसके मूल में नवार्ण मंत्र की प्रधानता है। श्री अम्बे जी का ध्यान करते हुए नर्वाण मंत्र माला जपते रहने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है। विशेषकर संकट के समय इस यंत्र की प्रतिष्ठा करके पूजन किया जाता है।

नवरात्र में स्थापना के दिन अथवा अष्टमी के दिन इस यंत्र का निर्माण करना व पूजन करना विशेष फलदायी माना गया है। इस यंत्र पर दुर्गा-सप्तशती के अध्याय 4 के श्लोक 17 का जप करने पर दुख और दरिद्रता का नाश होता है। व्यक्ति को ऋण से निवृत्ति एवं बीमारी से मुक्ति भी इस यंत्र के प्रभाव से मिलती है। 

PunjabKesari Use these tools and mechanisms

कुबेर यंत्र
यह धन अधिपति धनेश कुबेर का यंत्र है। इस यंत्र के प्रभाव से यक्षराज, कुबेर प्रसन्न होकर अतुल संपत्ति की रक्षा करते हैं। यह यंत्र स्वर्ण एवं रजत पत्रों पर भी निर्मित होता है। जहां लक्ष्मी प्राप्ति की दूसरी साधनाएं असफल हो जाती हैं, वहां इस यंत्र की उपासना से शीघ्र लाभ होता है। कुबेर यंत्र विजय दशमी, धनतेरस, दीपावली तथा रविपुष्य और रविगुरु पर बनाया जाता है। कुबेर यंत्र की स्थापना गल्ले, तिजोरियों, सेफ एवं बंद अलमारियों में की जाती है। लक्ष्मी प्राप्ति की साधनाओं में कुबेर यंत्र का प्रयोग अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।  

PunjabKesari Use these tools and mechanisms

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!