Sperm Bank Technology: बच्चे की चाहत... पर नहीं बन पा रहे मां-बाप? स्पर्म बैंक टेक्नोलॉजी है वरदान, जानें कैसे

Edited By Updated: 12 Sep, 2025 11:04 AM

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बदलती जीवनशैली और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के इस दौर में स्पर्म बैंक टेक्नोलॉजी उन कपल्स के लिए एक बड़ी उम्मीद बनकर उभरी है जो परिवार शुरू करना चाहते हैं। यह एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जो पुरुषों के शुक्राणुओं (स्पर्म) को सुरक्षित कर भविष्य में संतान...

नेशनल डेस्क। बदलती जीवनशैली और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के इस दौर में स्पर्म बैंक टेक्नोलॉजी उन कपल्स के लिए एक बड़ी उम्मीद बनकर उभरी है जो परिवार शुरू करना चाहते हैं। यह एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जो पुरुषों के शुक्राणुओं (स्पर्म) को सुरक्षित कर भविष्य में संतान प्राप्ति का सपना पूरा करने में मदद करती है। आइए जानते हैं कि यह कैसे काम करती है और इसके क्या फायदे हैं।

कैसे काम करती है यह तकनीक?

स्पर्म बैंक टेक्नोलॉजी का मुख्य आधार क्रायोप्रिजर्वेशन नाम की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। इसमें पुरुष द्वारा दिए गए स्पर्म के नमूने को पहले लैब में अच्छी तरह से जांचा जाता है ताकि उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। इसके बाद इन शुक्राणुओं को छोटे-छोटे कंटेनर में भरकर -196°C के बेहद कम तापमान वाले तरल नाइट्रोजन टैंक में रखा जाता है। इस अति-शीतल तापमान पर शुक्राणु कई सालों तक सुरक्षित रह सकते हैं।

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यह तकनीक क्यों है इतनी जरूरी?

यह तकनीक उन लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है जिन्हें भविष्य में प्रजनन संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

कैंसर के मरीज: कीमोथेरेपी और रेडिएशन जैसे इलाज अक्सर पुरुषों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं। ऐसे में इलाज शुरू होने से पहले स्पर्म को सुरक्षित रखने के लिए यह तकनीक बेहद कारगर है।

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बच्चे पैदा करने में असमर्थ पुरुष: जिन पुरुषों को संतान पैदा करने में दिक्कत होती है वे डोनर स्पर्म का इस्तेमाल कर IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) या IUI (इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन) जैसी तकनीकों से पिता बन सकते हैं।

भविष्य की योजना: जो लोग अभी परिवार शुरू नहीं करना चाहते लेकिन भविष्य में माता-पिता बनने का विकल्प खुला रखना चाहते हैं उनके लिए भी यह एक बेहतरीन तरीका है।

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कैसे होता है उपयोग?

जब जरूरत पड़ती है तो जमे हुए स्पर्म को पिघलाकर IVF या IUI जैसी प्रक्रियाओं में इस्तेमाल किया जाता है। मेडिकल टीम इन शुक्राणुओं को महिला साथी के अंडाणु के साथ मिलाकर फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया पूरी करती है जिससे उन लोगों को भी बच्चे का सुख मिलता है जिनके लिए यह स्वाभाविक रूप से संभव नहीं था।

यह तकनीक न केवल सुरक्षित है बल्कि पूरी तरह से भरोसेमंद भी है क्योंकि स्पर्म बैंक सख्त मेडिकल टेस्टिंग और क्वालिटी कंट्रोल प्रक्रियाओं का पालन करते हैं जिससे संक्रमण या बीमारी का खतरा नहीं रहता।

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