Edited By Anu Malhotra,Updated: 19 Nov, 2025 11:58 AM

इंस्टेंट मैसेजिंग की दुनिया में छाई WhatsApp ने यूजर्स के लिए बड़ा सुरक्षा खतरा खड़ा कर दिया है। हाल ही में सामने आया है कि ऐप के लगभग 3.5 बिलियन अकाउंट्स के मोबाइल नंबर ऑनलाइन लीक हो गए हैं। यानि, दुनिया के हर बड़े और छोटे WhatsApp यूजर का नंबर अब...
नेशनल डेस्क: इंस्टेंट मैसेजिंग की दुनिया में छाई WhatsApp ने यूजर्स के लिए बड़ा सुरक्षा खतरा खड़ा कर दिया है। हाल ही में सामने आया है कि ऐप के लगभग 3.5 बिलियन अकाउंट्स के मोबाइल नंबर ऑनलाइन लीक हो गए हैं। यानि, दुनिया के हर बड़े और छोटे WhatsApp यूजर का नंबर अब ऑनलाइन पहुंचा हुआ है। इस लीक का कारण कोई हैकर अटैक नहीं, बल्कि WhatsApp की पेरेंट कंपनी Meta की पुरानी लापरवाही है।
रिसर्चर्स का कहना है कि यह खामी साल 2017 से मौजूद थी, और तब से इसे नजरअंदाज किया गया। University of Vienna के साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने सिर्फ आधे घंटे में अमेरिका के 3 करोड़ से ज्यादा नंबर हासिल कर लिए थे। हालांकि उन्होंने इस डेटा को सुरक्षित रूप से डिलीट कर दिया और Meta को सूचित किया।
विशेषज्ञ इस सुरक्षा गड़बड़ी को “simple” यानी आसान समस्या बताते हैं, लेकिन उनका कहना है कि अगर हैकर्स को इस का पता लगता तो यह इतिहास का सबसे बड़ा डेटा लीक बन सकता था। दरअसल यह खामी WhatsApp के नंबर वेरिफिकेशन प्रोसेस में है। जब हम किसी का नंबर अपने फोन में सेव करते हैं, ऐप यह पता कर लेता है कि वह यूजर WhatsApp इस्तेमाल करता है या नहीं। इस प्रक्रिया में सेंध लग सकती है, जिससे लाखों नंबर आसानी से एक्सेस किए जा सकते हैं।
Meta अब इसे Bug Bounty Program के तहत सुधारने की बात कर रहा है। कंपनी का कहना है कि University of Vienna के साथ सहयोग के चलते यह खामी सामने आई और इसे फिक्स किया जा रहा है। मगर सवाल यही है कि यह खामी आठ साल तक अनदेखी क्यों रही, जबकि अब मीडिया में मामला उजागर होने के बाद इसे सुरक्षा सुधार का हिस्सा बताया जा रहा है। सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह घटना हमें याद दिलाती है कि दुनिया की सबसे बड़ी मैसेजिंग ऐप्स में भी डेटा की सुरक्षा हमेशा खतरे में रहती है। यूजर्स को भी सतर्क रहने और अपनी निजी जानकारी साझा करने में सावधानी बरतने की जरूरत है।