डीएचएफएल मामला: कर्जदाताओं ने पिरामल की बोली पर लगायी मुहर

Edited By Updated: 17 Jan, 2021 08:36 PM

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नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) कर्ज-बोझ तले दबी आवास वित्त कंपनी डीएचएफएल लिमिटेड ने रविवार को कहा कि कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने पिरामल समूह की कंपनी पिरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड की पेशकश को मंजूरी दे दी है।

नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) कर्ज-बोझ तले दबी आवास वित्त कंपनी डीएचएफएल लिमिटेड ने रविवार को कहा कि कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने पिरामल समूह की कंपनी पिरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड की पेशकश को मंजूरी दे दी है।

डीएचएफएल ने शेयर बाजारों को भेजी नियामकीय सूचना में कहा है कि सीओसी की 18वीं बैठक 15 जनवरी 2021 को हुई। उसी बैठक में यह मंजूरी दी गयी।

डीएचएफएल ने कहा, ‘‘कर्जदाताओं की समिति के द्वारा दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा 30(4) के तहत बहुमत से पिरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड की पेशकश को स्वीकार कर लिया गया।’’
पिरामल की बोली को 94 प्रतिशत मत मिले, जबकि इसकी तुलना में अमेरिका की कंपनी ओकट्री कैपिटल की बोली को 45 प्रतिशत मत ही मिल पाये।

पिछले महीने बोली का पांचवां व अंतिम दौर संपन्न होने के बाद पिरामल और ओकट्री कैपिटल दोनों ने अपनी-अपनी पेशकश को सर्वाधिक व अमल में लाने योग्य बताया था।

सूत्रों के अनुसार, बोली लगाने वालों ने 35 हजार से 37 हजार करोड़ रुपये के दायरे में बोलियां सौंपीं हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक ने नवंबर 2019 आवास क्षेत्र को कर्ज उपलब्ध कराने वाली निजी क्षेत्र की दीवान हाउसिंग फाइनें लिमिटेड (डीएचएफएल) को दिवाला प्रक्रिया के तहत राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास भेजा था। डीएचएफएल पहली वित्त कंपनी थी जिसे एनसीएलटी के तहत समाधान के लिये भेजा गया। इसके लिये रिजर्व बैंक ने आईबीसी कानून की धारा 227 के तहत दी गई विशेष शक्ति का इस्तेमाल किया।
इससे पहले रिजर्व बेंक ने कंपनी के निदेशक मंडल को हटाकर उसके स्थान पर आर सुब्रमणियाकुमार को उसका प्रशासक नियुक्त किया। उन्हें ही दिवाला एवं रिण शोधन संहिता (आईबीसी) के तहत समाधान पेशेवर भी बनया गया।
डीएचएफएल पर जुलाई 2019 की स्थिति के अनुसार बैंकों, नेशरल हाउसिंग बोर्ड, म्यूचुअल फंड और बॉंडधारकों का 83,873 करोड़ रुपये का बकाया था। कंपनी पर सबसे ज्यादा कर्ज एसबीआई सिंगापुर सहित भारतीय स्टेट बैंक का कुल 10,083 करोड़ रुपये है। इसके अलावा बैंक आफ इंडिया का 4,125 करोड़ रुपये, केनरा बैंक का 2,681 करोड़ रुपये एनएचबी का 2,434 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक का 2,378 करोड़ रुपये, सिंडीकेट बैंक का 2,229 करोड़ रुपये, बैंक आफ बड़ौदा का 2,075 करोड़ रुपये, इंडियन बैंक का 1,552 करोड़ रुपये, सैंट्रल बैंक का 1,389 करोड़ रुपये, आईडीबीआई बैंक का 999 करोड़ रुपये और एचडीएफसी बैंक का 361 करोड़ रुपये का बकाया है।

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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